प्रणब मुखर्जी का निर्णय

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम शामिल हुए और राष्ट्र व राष्ट्रवाद पर जिस साफगोई से अपना दृष्टिकोण रखा, उसके बाद उनके संघ के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उठे विवाद को शांत हो जाना चाहिए. उन्होंने भारत की बहुलतावादी संस्कृति की जहां तारीफ की, वहीं राष्ट्र के प्राचीन गौरव और उसकी शैक्षणिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2018 7:04 AM
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के कार्यक्रम शामिल हुए और राष्ट्र व राष्ट्रवाद पर जिस साफगोई से अपना दृष्टिकोण रखा, उसके बाद उनके संघ के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर उठे विवाद को शांत हो जाना चाहिए.
उन्होंने भारत की बहुलतावादी संस्कृति की जहां तारीफ की, वहीं राष्ट्र के प्राचीन गौरव और उसकी शैक्षणिक उपलब्धियों को भी याद किया. राष्ट्रवाद पर नेहरू और टैगोर को उद्धृत किया, वहीं दूसरी ओर देश के एकीकरण में सरदार पटेल के योगदान की भी सराहना की. प्रणब मुखर्जी इसके पहले आरएसएस के संस्थापक डॉ हेडगेवार के घर भी गये और भारत मां के इस ‘महान सपूत’ को विनम्र श्रद्धांजलि दी.
संघ का आमंत्रण स्वीकार करने के कारण प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस के कई नेताओं के साथ-साथ स्वयं अपनी बेटी की भी आलोचना का शिकार होना पड़ा, लेकिन वे अडिग रहे. वैसे भी विभिन्न वैचारिक समूहों के बीच स्वस्थ संवाद लोकतंत्र की मजबूती को ही दिखाता है और राष्ट्रपति का निर्णय इसकी एक मिसाल है.
चंदन कुमार, देवघर

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