जापान की आधुनिकता के मायने
II आकार पटेल II कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया aakar.patel@gmail.com भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू होने के कगार पर है. मुंबई-अहमदाबाद मार्ग की प्रस्तावित योजना के साथ भूमि अधिग्रहण से संबंधित कुछ समस्याएं सामने आयी हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे सभी बाधाएं दूर कर ली जायेंगी. शीघ्र ही यह ट्रेन परियोजना हकीकत में […]
II आकार पटेल II
कार्यकारी निदेशक,
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
aakar.patel@gmail.com
भारत की बुलेट ट्रेन परियोजना शुरू होने के कगार पर है. मुंबई-अहमदाबाद मार्ग की प्रस्तावित योजना के साथ भूमि अधिग्रहण से संबंधित कुछ समस्याएं सामने आयी हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे सभी बाधाएं दूर कर ली जायेंगी.
शीघ्र ही यह ट्रेन परियोजना हकीकत में तब्दील हो जायेगी, इसी अपेक्षा के आधार पर मैं यह बात कह रहा हूं. इस तरह की वृहद् परियोजनाओं में कुछ बाधाओं का आना तो स्वाभाविक है, परंतु संयोग से इस परियोजना की राह के अवरोध मामूली हैं. और, अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा, तो कुछ ही वर्षों में हम विदेशी सहायता और तकनीक के साथ बुलेट ट्रेन का परिचालन सुचारू रूप से देख पायेंगे.
जापान में विगत 50 वर्षों से अधिक समय से बुलेट ट्रेन चल रही है और देश के कोने-कोने तक इसकी पहुंच है. यहां तक कि कुछ साल पहले होक्किडो के सुदूर उत्तर-पूर्व राज्य तक भी बुलेट ट्रेन की पहुंच सुनिश्चित की जा चुकी है. समुद्र के अंदर सुरंग निर्माण के द्वारा ऐसा संभव हुआ है.
मेरे विचार से जापान (मैं दो बार वहां लंबे प्रवास की यात्राएं कर चुका हूं) विश्व का अकेला सबसे अाधुनिक समाज है. इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है कि वह यूरोप से अधिक आधुनिक है और निश्चित रूप से चीन से कहीं ज्यादा आधुनिक है.
अग्रणी होने से मेरा मतलब वहां के लोगों से है, जो अत्याधुनिक हैं. यहां के प्रौद्योगिकी के आधुनिक होने का यही कारण है. इसकी कोई और वजह नहीं है. जापान इसलिए आधुनिक नहीं है, क्योंकि वहां की आबादी फैंसी गैजेट का इस्तेमाल करती है.
दूसरा, जापान के नागरिक इसलिए आधुनिक नहीं हैं, क्योंकि वे अंग्रेजी में काम करते हैं. सच्चाई तो यह है कि जापान में शायद ही कोई अंग्रेजी बोलता है.
वहां की यात्रा करनेवाले इसे बखूबी जानते हैं. लेकिन यह कारण दूसरे देशों से आनेवाले यात्रियों को वहां आने से और उस देश का सहज अनुभव करने से रोक नहीं पाता है, क्योंकि यहां के लोग आधुनिक हैं. उनकी आधुनिकता उनके डिजाइन और उनकी संस्कृति में स्पष्ट झलकती है. पर्यटकों की यात्रा के लिए जापान सबसे सहज देश है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि जापान के लोग डिजाइन की उत्कृष्टता पर काफी ध्यान देते हैं. आइये, मैं कुछ उदाहरण से इसे समझाता हूं.
अनेक जापानी वाॅश-बेसिन, टॉयलेट-सिस्टर्न का काम भी करते हैं. मतलब हाथ धाेने के लिए जिस पानी का हम इस्तेमाल करते हैं, वही सिस्टर्न में भरता है और फिर फ्लश में उपयोग किया जाता है. यह एक साधारण विचार है, पर इस विचार की वजह से टॉयलेट संभवत: 30 से 40 प्रतिशत तक पानी बचाता है. इस तरह के विचार और उसे अमल में लानेवाले किसी दूसरे समाज के बारे में मुझे जानकारी नहीं है.
जापान शिंकासेन (बुलेट ट्रेन) में आपकी सीट के सामने, मतलब यात्रियों के बैकरेस्ट के पीछे आपके सामने, एक छोटा धातु का खांचा बना हुआ है. यह आपके टिकट रखने का स्थान है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अगर आपके सोते समय कंडक्टर आ जाये, तो टिकट जांच के लिए उसे आपको जगाना न पड़े. यह तर्कसंगत और कम बजट का विचार है, जो आपके सोने और कंडक्टर के समय का आदर करता है.
ट्रेन में भी आप अपनी सीट आसानी से दूसरे के सामने मोड़ सकते हैं. ऐसे में अगर छह लोगों का परिवार एक साथ यात्रा कर रहा है, तो तीन लोगों की एक पूरी पंक्ति को घुमाया जा सकता है और अपना चेहरा पीछे की तरफ किया जा सकता है और इस प्रकार सभी लोगों का चेहरा एक-दूसरे से आमने आ जायेगा, न कि सभी का चेहरा एक ही दिशा में होगा. यह भी एक सरल समझ ही है, परंतु यह विचारशील डिजाइन है.
मैंने विश्व के कई देशों की यात्रा की है, लेकिन इस स्तर की डिजाइन गुणवत्ता और दक्षता मैंने कहीं नहीं देखी है. जापान के लोग निरंतर अपनी प्रक्रिया और अपने उत्पाद को बेहतर बनाने के लिए तरीके, खासकर छोटे तरीके, के बारे में सोच रहे हैं. ऐसा दावा है कि इस तरह की प्रवृत्ति एक अमेरिकी विशेषज्ञ से जापान में आयात की गयी थी. मेरे लिए इन बातों पर विश्वास करना थोड़ा कठिन है.
मुझे इस बात पर संदेह नहीं है कि डेमिंग नामक प्रबंधन सलाहकार अपने उद्योगों के कुछ तकनीक दिखाने के लिए जापान आया था. मेरा केवल यह कहना है कि यह संस्कृति और कैजान (जापानी शब्द जिसका मतलब क्रमिक सुधार होता है) की प्रवृत्ति पहले से ही वहां मौजूद थी.
जापान के शासकों द्वारा जापान को जान-बूझकर 165 वर्षों तक बाहरी दुनिया से काटकर रखा गया था. इसके पहले भी वह एशियाई मानकों के अनुसार पहले से समृद्ध था. उसने आवश्यकता से अधिक चावल उपजाया (भारत से बढ़िया नस्ल के चावल आयात करने के बाद). लेकिन, पिछली सदी में इसने बड़ी छलांग लगायी है.
विश्व के बुलेट ट्रेन के 50 प्रतिशत से अधिक यात्री जापानी हैं. पांच दशकों से शिकांसेन कभी दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुई है और इस वजह से इसमें एक भी व्यक्ति की जान नहीं गयी है, जबकि अब तक करोड़ों लोग इससे यात्रा कर चुके हैं. ऐसा किसी चमत्कार या अच्छे भाग्य के कारण नहीं हुआ है. ऐसा सोच-समझकर, निरंतर प्रयास से तैयार किये गये उत्पादों तथा बौद्धिक और सावधानीपूर्वक इनके इस्तेमाल से ही संभव हुआ है.
बुलेट ट्रेन अपने-आप में आधुनिकता नहीं है. यह आधुनिकता का एक उत्पाद है. यह वह आधुनिकता है, जिसे जापान से आयात करने में सक्षम होकर हम भाग्यशाली होंगे, लेकिन निश्चित रूप से इसे निर्यात नहीं किया जा सकता है.
हमारे पास सांस्कृतिक तौर पर जो भी उपकरण मौजूद हैं, उनके साथ इसे विकसित किया जाना चाहिए. और, अगर हमारे पास ऐसा कुछ नहीं है, तो हमें इसे सीखने का तरीका खोजने की जरूरत है.
मैं इस सरकार या किसी अन्य तंत्र की आलोचना नहीं कर रहा हूं. लेकिन, मुझे यह महसूस होता है कि हम ऐसा मानते हैं कि किसी खिलौने को पा लेने के बाद हम एक आधुनिक राष्ट्र बन जायेंगे. यह सत्य नहीं है. आधुनिक बनने के लिए हमारे समाज को बदलना होगा और निश्चित रूप से यह एक सलाहकार या सरकार का काम नहीं है.