माध्यमिक शिक्षा : बिन नाविक की नाव

मैट्रिक में पिछले 15 सालों का सबसे खराब रिजल्ट. मंत्री महोदया जैक अध्यक्ष एवं सचिव को तलब कर रहीं हैं. हो सकता है कल शिक्षकों को भी बलि का बकरा बनाया जाये. यानी दर्द घुटने में और ऑपरेशन कलाई का! आज राज्य के 95 प्रतिशत से अधिक हाइस्कूल प्रधानाध्यापकविहीन है. यही स्थिति राज्य के माध्यमिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2018 7:25 AM
मैट्रिक में पिछले 15 सालों का सबसे खराब रिजल्ट. मंत्री महोदया जैक अध्यक्ष एवं सचिव को तलब कर रहीं हैं. हो सकता है कल शिक्षकों को भी बलि का बकरा बनाया जाये. यानी दर्द घुटने में और ऑपरेशन कलाई का! आज राज्य के 95 प्रतिशत से अधिक हाइस्कूल प्रधानाध्यापकविहीन है. यही स्थिति राज्य के माध्यमिक स्कूलों की है. शिक्षा पदाधिकारी, जैक सचिव एवं अध्यक्ष तो लाचार हैं.
वे न तो हेडमास्टर ला सकते हैं और न ही शिक्षक. यदि गौर से देखा जाये, तो इसकी जड़ में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के नौकरशाह हैं, जो अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद नियुक्तियों को लटका कर रखते हैं. उच्च न्यायालय के आदेश के दस महीने बीतने को आये, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई. जब तक नौकरशाह वर्ग अपने अंदर से राजधर्म को महत्व नही देंगे और इच्छा शक्ति से लबरेज नहीं होंगे तब तक किसी भी क्षेत्र में बेहतर परिणाम की कल्पना बेमानी होगी.
डॉ दिवाकर दूबे, नेओरी, रांची

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