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विकास में बाधक बनती हिंसा

किसी भी देश के विकास में हिंसा बहुत बड़ी बाधा है. बड़े पैमाने पर इससे सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है. विकासशील देशों के लिए यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. अपने देश में भी हिंसा एक बड़ी बाधक बन गयी है. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के अनुसार देश को हिंसा के […]

किसी भी देश के विकास में हिंसा बहुत बड़ी बाधा है. बड़े पैमाने पर इससे सामाजिक और आर्थिक नुकसान होता है. विकासशील देशों के लिए यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. अपने देश में भी हिंसा एक बड़ी बाधक बन गयी है.
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के अनुसार देश को हिंसा के कारण 80 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. यह नुकसान प्रतिव्यक्ति के हिसाब से 40 हजार रुपये से अधिक है. इस रिपोर्ट में सिर्फ आर्थिक हानियों को दर्शाया गया है, लेकिन जब हिंसा होती है, तो देश को आर्थिक ही नहीं बल्कि सामाजिक नुकसान भी होता है.
धर्म और राजनीति के नाम पर हिंसा आम होती जा रही है, जो चिंताजनक है. लोग बहुत जल्द उग्र हो रहे हैं जिससे जान व माल की हानि के साथ-साथ होती है. बेकसूर की जान चली जाती है. सरकारी संपत्ति को बड़े पैमाने पर जलाकर कर बर्बाद कर दिया जाता है. हिंसा से हुए नुकसान से सरकार भी चिंतित होकर अपनी ध्यान नुकसान के भरपाई पर लगा देती है, जिससे विकास धीमा हो जाता है.
निलेश मेहरा, इमेल से

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