फुटबॉल मैदान पर पान मसाला
आलोक पुराणिक , वरिष्ठ व्यंग्यकारpuranika@gmail.com नाइजीरिया ने आइसलैंड को फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप में दो गोलों से हरा दिया. भारतीय बंदा या बंदी मुंबई में ताली पीट रहा है. मामला कतई ग्लोबल हो लिया है. आइपीएल ने दरअसल भारतीय दर्शकों को जीत-हार से मुक्त होकर गेम देखना सिखा दिया है. आइपीएल में होता है ना, […]
आलोक पुराणिक , वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
नाइजीरिया ने आइसलैंड को फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप में दो गोलों से हरा दिया. भारतीय बंदा या बंदी मुंबई में ताली पीट रहा है. मामला कतई ग्लोबल हो लिया है. आइपीएल ने दरअसल भारतीय दर्शकों को जीत-हार से मुक्त होकर गेम देखना सिखा दिया है. आइपीएल में होता है ना, पंजाब हारे तो भी भारत हारता है और बेंगलुरु हारे तो भी भारत हारता है. इसलिए आइपीएल का दर्शक जीत-हार की चिंता ही न करता, मैच देखता है और तालियां पीटता है. यही सच्चे खेल प्रेमी के लक्षण हैं. कुछ-कुछ ऐसे लक्षण लोकतंत्र प्रेमी में भी पाये जाते हैं. चुनावों में एक कैंडीडेट मिलावटबाज होता है और दूसरा किडनैपिंग एक्सपर्ट. लोकतंत्र का रक्षक वोट डालकर चला आता है और समझता है कि लोकतंत्र को बचा लिया है. कोई जीते कोई हारे, अपन को क्या.
यही फुटबॉल में हो लिया है- कोई हारे कोई जीते, हमें तो ताली बजाकर आ जाना है. फीफा कप के इन फुटबाॅली दिनों में एक बात अच्छी हो रही है कि बच्चों को तमाम नये-नये देशों के नाम पता चल रहे हैं. वरना नये बच्चे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे दो-चार देशों के अलावा बाकी देशों को नहीं जानते थे. मेरी चिंता यह है कि जैसे ही नौजवानों को नये देशों का पता चलेगा, वे उन देशों में बसने के लिए वीसा-जी एप्लीकेशन लगाने लगेंगे. इस मुल्क में कामयाब होशियार नौजवान वही माना जाता है, तो इंडियन न रहे, नान रेजीडेंट इंडियन (एनआरआइ) हो जाये. एनआरआइ होने के लिए कौन-कौन से नये देश हो सकते हैं, फीफा के फुटबाॅली दिनों में पता चलता है.
फुटबॉल हो या क्रिकेट भारतीय टीवी चैनल अपने अंदाज से दिखाते हैं. बरसों पहले एक टीवी चैनल ने क्रिकेट में फिल्म एक्ट्रेस मंदिरा बेदी की एंट्री करा दी थी. दर्शक उन्हें सुनते नहीं थे, देखते थे. क्रिकेट एक्सपर्ट बिशन सिंह बेदी का हक बनता था, पर मंदिरा बेदी आ गयी थीं- क्रिकेट पर एक्सपर्टता दिखाने. फुटबॉल पर कोई राखी सावंतजी और या सन्नी लियोनीजी को ना ले आये टीवी चैनल. हालांकि, नयी पीढ़ी को फुटबाल की ओर खींचने में राखीजी या सन्नीजी का अपना योगदान हो सकता है. पर दिक्कत बस यही होगी कि सुनील छेत्रीजी फुटबॉल एक्सपर्ट के बजाय सन्नी लियोनीजी फुटबॉल एक्सपर्ट मान ली जायेंगी.
फीफा में करीब साढ़े तीन लाख की आबादी का देश आइसलैंड खेल रहा है. और भारत में करीब दो करोड़ लोगों ने फीफा कप का उद्घाटन मैच देखा था. कुछ दिनों में हालात बदलते दिखेंगे, दुनियाभर में सबसे ज्यादा फुटबाल दर्शक भारत से ही आ रहे होंगे. फिर माॅस्को के फुटबाल मैदान में हुंडाई के नहीं, गमला पसंद पान मसाले के इश्तिहार दिख रहे होंगे. तब होगा सच्चा ग्लोबलाइजेशन है. दर्शक जहां से आयेंगे, आइटम भी उनके ही दिखाये जायेंगे.
न खिलाड़ी हमारे, न हार हमारी, न जीत हमारी, सिर्फ दर्शक हमारे हैं. और वह गमला पसंद पान मसाला हमारा होगा, जो किसी ग्लोबल फुटबॉल मैदान पर दिख रहा होगा.