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कॉपी मूल्यांकन में सावधानी बरतें

इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा में झारखंड में नौवें स्थान प्राप्त करने वाले नीरज को रसायनशास्त्र में 12 नंबर मिले थे जबकि नीरज पहले ही झारखंड कंबाइंड व पॉलिटेक्निक में सफल हो चुके थे. स्क्रूटनी के बाद कुल 84 अंक मिला. अंकों में सुधार के बाद उसे 500 में से 440 अंक मिले. ऐसे में जैक […]

इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा में झारखंड में नौवें स्थान प्राप्त करने वाले नीरज को रसायनशास्त्र में 12 नंबर मिले थे जबकि नीरज पहले ही झारखंड कंबाइंड व पॉलिटेक्निक में सफल हो चुके थे. स्क्रूटनी के बाद कुल 84 अंक मिला. अंकों में सुधार के बाद उसे 500 में से 440 अंक मिले.
ऐसे में जैक अध्यक्ष अरविंद प्रसाद सिंह ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वैसे विद्यार्थी जो मेडिकल एवं इंजीनियरिंग की परीक्षा में सफल हुए हैं और अपने अंक से संतुष्ट नहीं हैं, तो उनके लिए स्पेशल स्क्रूटनी की व्यवस्था की गयी है. अब सवाल उठता है, क्या सामान्य छात्रों को स्पेशल स्क्रूटनी का अधिकार नहीं है? अगर नहीं है तो क्यों? एक तो झारखंड में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. शिक्षकों की भारी कमी है. बावजूद इसके अगर बच्चे किसी तरह मेहनत करते हैं, तो भी कॉपी मूल्यांकन के समय गड़बड़ी कर देते हैं और बच्चों के भविष्य के साथ खेल जाते हैं.
संतोष कुमार, इमेल से

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