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महान सांख्यिकीविद् महालनोबिस
शफक महजबीन टिप्पणीकार mahjabeenshafaq@gmail.com अभिनेत्री स्वरा भास्कर अभिनीत फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ में स्वरा की बेटी को गणित से बहुत डर लगता है. उसका क्लासमेट समझाता है िक गणित को अगर जिंदगी का हिस्सा बना लिया जाये, तो वह बहुत आसान हो जाता है. सच है, बहुत लोग गणित से डरते हैं. यही वजह है […]
शफक महजबीन
टिप्पणीकार
mahjabeenshafaq@gmail.com
अभिनेत्री स्वरा भास्कर अभिनीत फिल्म ‘निल बटे सन्नाटा’ में स्वरा की बेटी को गणित से बहुत डर लगता है. उसका क्लासमेट समझाता है िक गणित को अगर जिंदगी का हिस्सा बना लिया जाये, तो वह बहुत आसान हो जाता है. सच है, बहुत लोग गणित से डरते हैं. यही वजह है कि गणित संबंधित विषयों में उनकी रुचि नहीं होती. आज के युवा गणित व सांख्यिकी को लेकर अपने मन में एक डर बनाये हुए हैं. इसका कारण यह हो सकता है कि इसे किताबों में ही समेट दिया गया है, जबकि गणित एक बहुत ही व्यावहारिक विषय है.
गणित का ही एक हिस्सा है सांख्यिकी, जिसे कम ही लाेग समझ पाते हैं. सांख्यिकी एक गणितीय विज्ञान है, जिसमें संख्यात्मक विश्लेषण की विधियों का अध्ययन किया जाता है. आज महान सांख्यिकीविद् प्रो प्रशांत चंद्र महालनोबिस की पुण्यतिथि है. 28 जून, 1972 काे उनका देहावसान हुआ था.
प्रो पीसी महालनाोबिस का जन्म 29 जून, 1893 को कोलकाता (तब कलकत्ता) में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रबोध चंद्र और माता का नाम श्रीमती निरोदबासिनी था. अपने दादा गुरुचरण महालनोबिस द्वारा स्थापित ‘ब्रह्मो ब्वॉयज स्कूल’ से इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की. उच्च शिक्षा के लिए लंदन गये, जहां कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से भौतिकी और गणित में डिग्री हासिल की. वहीं से सांख्यिकी के प्रति इनकी रुचि बढ़ने लगी. अपने गहन शोध-अध्ययन के बाद इन्होंने एक सांख्यिकी माप दिया, जिसे आज ‘महालनोबिस दूरी’ के नाम से जाना जाता है.
महालनोबिस के योगदानों की एक लंबी फेहरिस्त है. 17 दिसंबर, 1931 को इन्होंने कोलकाता में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान की स्थापना की. इसकी शाखाएं दिल्ली और बेंगलुरु में भी हैं, जहां सांख्यिकी और अन्य संबंधित विषयों में अनुसंधान होते हैं. महालनोबिस का एक योगदान ‘सैंपल सर्वे’ भी है. भारत में इसी सैंपल सर्वे के आधार पर आज कई बड़ी नीतियां और योजनाएं बनायी जाती हैं. भारत के स्वतंत्र होने के बाद जब नये मंत्रिमंडल का गठन हुआ, तब महालनोबिस को सांख्यिकी सलाहकार नियुक्त किया गया.
आर्थिक योजनाओं और सांख्यिकी के क्षेत्र में इनके योगदानों के लिए इन्हें ढेरों सम्मान व पुरस्कार मिले. सन् 1944 में ‘वेल्डन मेडल’ पुरस्कार और 1945 में लंदन की रॉयल सोसाइटी में वे फेलो नियुक्त किये गये. इसके बाद अमेरिका की ‘इकोनोमेट्रिक’ साेसाइटी के फेलो नियुक्त हुए. 1957 में देवी प्रसाद सर्वाधिकार स्वर्ण पदक प्राप्त किया और इसी वर्ष वे अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान के सम्मानित अध्यक्ष बनाये गये. 1968 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया.
सांख्यिकी के क्षेत्र में महालनोबिस के योगदानों को देखते हुए इनके जन्म दिवस 29 जून को प्रति वर्ष ‘सांख्यिकी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य युवाओं को महालनोबिस के योगदानों से अवगत कराने के साथ सांख्यिकी के प्रति रुचि जगाना है. महालनोबिस को याद करने का मकसद भी यही होना चाहिए कि गणित विषयों में लोगों की रुचि बढ़े.
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