रांची का अमन-चैन कायम रखें
आशुतोष चतुर्वेदी रांची से लगातार छुटपुट सांप्रदायिक तनाव की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे में हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि कहीं कोई झड़प चिंगारी का काम न कर दे और पूरा शहर सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में न आ जाये. अभी तक पुलिस प्रशासन की चुस्ती के कारण शहर इस स्थिति से […]
आशुतोष चतुर्वेदी
रांची से लगातार छुटपुट सांप्रदायिक तनाव की खबरें सामने आ रही हैं. ऐसे में हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि कहीं कोई झड़प चिंगारी का काम न कर दे और पूरा शहर सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में न आ जाये. अभी तक पुलिस प्रशासन की चुस्ती के कारण शहर इस स्थिति से बचा रहा है. लेकिन हम सभी को चौकन्ना रहना होगा कि कहीं चंद हुड़दंगियों के कारण पूरा शहर अस्त-व्यस्त न हो जाये.
पिछले कुछ दिनों से रांची और उसके आसपास से सांप्रदायिक तनाव की लगातार खबरें आ रही हैं. इन सब घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री को प्रशासन को सख्त संदेश देना होगा कि वह ऐसे तत्वों से सख्ती से निबटे. मुख्यमंत्री और उनकी प्रशासनिक टीम झारखंड की छवि निखारने की पूरी कोशिश कर रही है, ताकि राज्य में निवेश का माहौल बने. लेकिन सांप्रदायिक हिंसा की एक बड़ी घटना, इन सारी कोशिशों पर एक झटके में पानी फेर सकती है. यह सही है कि सरकार मुस्तैद रहे, लेकिन हम आपको भी अपना दायित्व निभाना होगा. शहर का अमन-चैन बिगाड़ने वाले लोग किसी अन्य ग्रह से नहीं आते हैं, वे झारखंड के ही लोग हैं. शहर के जागरूक नागरिक अपना कर्तव्य निभाएं, ऐसे लोगों को टोकें और उन्हें चेताएं कि वे माहौल खराब न करें. दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि सोशल मीडिया खासकर व्हाट्सएप अफवाहों को हवा देता है. ऐसे संदेशों को कम से कम आप तो फैलाने में योगदान न दें. अगर आपका कोई परिचित ऐसा करता है, तो शहर और लोगों के हित में उसे टोकें. यह जान लीजिए, हिंसा की एक घटना से स्कूल कॉलेज ठप हो जायेंगे. दफ्तरों में काम बंद हो जायेगा और काम-धंधा सब ठप हो जायेगा.
लेकिन सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमारे आसपास हो रही घटनाओं से हम आप तब तक आंखें मूंदें रहते हैं, जब तक कि पानी सिर से न गुजर जाये. ऐसी घटनाएं चिंता नहीं जगातीं, हमें झकझोरती नहीं हैं. हमें सोचने को मजबूर नहीं करतीं कि यह हिंसा हमें किस दिशा में ले जायेगी. लेकिन फिर भी हम इनको लेकर चिंतित नहीं होते. हम हिंसा की अनदेखी कर देते हैं. यह गंभीर स्थिति है. एक बात सभी को साफ होनी चाहिए कि धार्मिक विद्वेष से दुनिया में कहीं विकास संभव नहीं हुआ है. अगर आप चाहते हैं कि आपका शहर विकसित हो, आगे बढ़े, तो विद्वेष का माहौल खत्म करना होगा. हमें अपने शहर के सामाजिक सौहार्द को हर कीमत पर बनाये रखना होगा.