मानव की आकृति का कूड़ेदान क्यों?
मेरा यह पत्र भारतीय रेलवे प्लैटफॉर्म से संबंधित है. मैं जब भी किसी प्लैटफॉर्म पर जाता हूं तो वहां आदमकद कूड़ेदान दिखाई देते हैं. इसके ऊपर लोग थूकते हैं, कूड़े-कचरे फेंकते हैं, गंदगी का अंबार डाल देते हैं. सही है, कूड़ेदान तो कूड़ेदान ही होता है, लेकिन इसकी आकृति मनुष्य की क्यों? ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ […]
मेरा यह पत्र भारतीय रेलवे प्लैटफॉर्म से संबंधित है. मैं जब भी किसी प्लैटफॉर्म पर जाता हूं तो वहां आदमकद कूड़ेदान दिखाई देते हैं. इसके ऊपर लोग थूकते हैं, कूड़े-कचरे फेंकते हैं, गंदगी का अंबार डाल देते हैं. सही है, कूड़ेदान तो कूड़ेदान ही होता है, लेकिन इसकी आकृति मनुष्य की क्यों? ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना मनुष्य की आकृति पर हमारा थूकना क्या सही है?
मनुष्य की आकृति तो संपूर्ण मनुष्य जाति का प्रतिनिधित्व करती है, यह इनसानियत का प्रतिबिंब होती है. एक अपराधी के दिल में भी कहीं न कहीं मानवता का गुण जरूर पिा होता है. उसे परखने की जरूरत होती है. इस तरह मानव आकृति पर थूकना यह साबित करता है कि हम कितने बर्बर हैं. मानव तो क्या, कूड़ेदान के लिए किसी जानवर की प्रतिकृति का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसकी जगह सीधे-सपाट कूड़ेदान का इस्तेमाल हो.
शिवराम आचार्य, बहरागोड़ा, जमशेदपुर