सोशल मीडिया के मायने
सोशल मीडिया आज के जमाने में काफी शक्तिशाली माध्यम बन चुका है. अपनी बात दुनिया के सामने रखने का यह एक सरल और तेज माध्यम बन चुका है. मित्रों से मिलाने के साथ-साथ कई अलग-अलग विषयों को लेकर इस पर महत्वपूर्ण पृष्ठों का संचालान भी किया जाता है जो आपका ज्ञानवर्धन करते हैं. लेकिन अब […]
सोशल मीडिया आज के जमाने में काफी शक्तिशाली माध्यम बन चुका है. अपनी बात दुनिया के सामने रखने का यह एक सरल और तेज माध्यम बन चुका है. मित्रों से मिलाने के साथ-साथ कई अलग-अलग विषयों को लेकर इस पर महत्वपूर्ण पृष्ठों का संचालान भी किया जाता है जो आपका ज्ञानवर्धन करते हैं. लेकिन अब सोशल मीडिया वही नहीं रहा, जो वह पांच साल पहले तक था. सोशल मीडिया का स्वरूप काफी बदल चुका है. यहां आप प्रचार के साथ-साथ दुष्प्रचार भी आसानी से कर सकते हैं. यह बात हमें इस चुनाव के दौरान देखने को मिली है.
हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूर है, पर हमें अपनी सीमाएं भी पता होनी चाहिए. कोई खुलेआम किसी व्यक्ति या संस्था के बारे में दुर्भावना फैलाए तो वैसी स्वतंत्रता से क्या लाभ? ये तो मानहानि का मुद्दा हुआ.
पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर दुर्भावना पूर्ण टिप्पणी के लिए मानहानि के कई मामले भी दर्ज हो चुके हैं और उन पर कार्रवाई भी हो रही है. इन कार्रवाइयों में कुछ राज्य सरकारें भी सामने आ रही हैं. एक तरह से देखा जाये तो यह सही भी है. सोशल मीडिया का अनुचित इस्तेमाल करनेवाले किसी एक शख्स पर भी अगर कोई कार्रवाई होती है तो इसका सबक कई लोगों तक पहुंचेगा.
ऐसा भी देखने को मिल रहा कि कई युवा अपने जरूरी काम छोड़ कर सोशल मीडिया पर व्यस्त रहते हैं. उन्हें समय का महत्व समझना होगा. कहा भी गया है कि अगर तुम समय की इज्जत नहीं करोगे तो फिर समय तुम्हारी इज्जत नहीं करेगा. अत: सोशल मीडिया का ऐसा उपयोग करें, जिससे आप लाभान्वित भी हों और औरों के मन को कोई ठेस भी न पहुंचे.
अनंत कुमार, कोलकाता