निश्चित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का प्रशासन और विकास केजरीवाल बनाम मोदी और आप बनाम भाजपा की नाक की लड़ाई में ऐसा उलझ गया था कि कोई कामकाज होने की बजाय हर दो-चार महीने पर कोई नाटक खड़ा हो जाता था. इससे दिल्ली की जनता की भावनाओं का भी मजाक हो रहा था और संविधान का भी. एक तरह से इन दो नेताओं और दलों के बीच दिल्ली त्रिशंकु होकर रह गयी थी.
अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांत प्रतिपादित कर दिया है और अनुच्छेद 239ए की एक रचनात्मक व्याख्या प्रस्तुत कर दी है. आशा की जानी चाहिए कि राजनीतिक दल अपने अहंकार से ऊपर उठकर संविधान की भावना को समझेंगे और उसका मजाक उड़ाने से बचेंगे.
डाॅ हेमंत कुमार, गोराडीह, भागलपुर.