यह व्यवस्था फेल होने का संकेत है

झारखंड के प्रभारी मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती दौरे पर दौरे करते जा रहे हैं. देर रात को भी दूरदराज के इलाकों में जा कर निरीक्षण कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग उनकी प्राथमिकता में लगता है. इसलिए अस्पतालों पर उनका फोकस ज्यादा है. अब यह देखने का वक्त आ गया है कि मुख्य सचिव जहां निरीक्षण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2014 5:14 AM

झारखंड के प्रभारी मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती दौरे पर दौरे करते जा रहे हैं. देर रात को भी दूरदराज के इलाकों में जा कर निरीक्षण कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग उनकी प्राथमिकता में लगता है. इसलिए अस्पतालों पर उनका फोकस ज्यादा है. अब यह देखने का वक्त आ गया है कि मुख्य सचिव जहां निरीक्षण करते हैं, वहां बाद में सुधार हो रहा है या नहीं. वे जो आदेश देते हैं उनका पालन हो रहा है या नहीं.

झारखंड की व्यवस्था चौपट हो चुकी है. जिस तरह खुल कर मुख्य सचिव बोल रहे हैं, कमियों को बता रहे हैं, उसकी प्रशंसा होनी चाहिए. लेकिन यह भी सत्य है कि उनकी बात को भी तरजीह नहीं दी जा रही है. मुख्य सचिव किसी अस्पताल का निरीक्षण करें, डाक्टर गायब मिलें और उन्हें निलंबित करने का आदेश दें, फिर भी निलंबन न हो, यह झारखंड में ही संभव है.

मुख्य सचिव के आदेश का पालन न होना व्यवस्था के फेल होने की ओर इशारा करता है. सचिव या अन्य पदाधिकारी अगर राज्य के सबसे बड़े अधिकारी यानी मुख्य सचिव की बात न मानें, तो राज्य कैसे चलेगा? कोई अधिकारी-कर्मचारी किसी भी राजनेता का रिश्तेदार या करीबी क्यों न हो, नियम से ऊपर नहीं हो सकता. अगर सीनियर अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं तो उस सीनियर अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. कोई राजनेता बचाने आते हैं, तो उनका नाम भी सार्वजनिक होना चाहिए. अगर इस तरह काम में हस्तक्षेप होगा तो कोई बदलाव नहीं होगा.

अगर मुख्य सचिव बनाया है तो अधिकार भी मिलना चाहिए. मुख्य सचिव सरल स्वभाव के हैं, लेकिन यही सरलता कहीं उनकी कमजोरी न बन जाये. आज एक अधिकारी बात नहीं मानता, कल दूसरा नहीं मानेगा, परसों तीसरा. यह परंपरा बन जायेगी. इसलिए मुख्य सचिव जो आदेश दें, उसका हर हाल में पालन हो. अगर कमियों में सुधार न हो तो निरीक्षण का क्या अर्थ? मुख्य सचिव खुद कहते हैं कि वे मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर ही बोलते हैं, निर्णय लेते हैं, तो फिर उन्हें कड़ी कार्रवाई में पीछे नहीं हटना चाहिए. जो भी सचिव अगर काम नहीं कर रहे हैं तो उन्हें क्यों छोड़ा जाना चाहिए. छोटे-छोटे कर्मचारी तो पकड़े जाते हैं, लेकिन बड़े अफसर बच जाते हैं. बड़े अफसरों पर भी कार्रवाई हो, तभी बदलाव दिखेगा.

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