हम हैं कि मान जाते हैं
संतोष उत्सुक व्यंग्यकार बाजार से गुजर रहा था. काफी लोग आ-जा रहे थे. एक दुकान के सामने एक कार शान से खड़ी थी, जिसमें सामान लादे जा रहे थे. जहां बाजार तंग होता है, वहां गाड़ियों का प्रवेश कानूनन बंद होता है. इसलिए वहां पुलिस का घुसना भी मुश्किल हो जाता है. बाजार के मुहाने […]
संतोष उत्सुक
व्यंग्यकार
बाजार से गुजर रहा था. काफी लोग आ-जा रहे थे. एक दुकान के सामने एक कार शान से खड़ी थी, जिसमें सामान लादे जा रहे थे. जहां बाजार तंग होता है, वहां गाड़ियों का प्रवेश कानूनन बंद होता है.
इसलिए वहां पुलिस का घुसना भी मुश्किल हो जाता है. बाजार के मुहाने पर पुलिस पोस्ट है. मेरा जागरूक नागरिक जाग उठा. मैंने कार का चित्र, नंबर सहित खींचकर शहर के प्रसिद्ध अखबार के युवा संवाददाता को भेज दिया. दुकानदार व कार वाले ने मन ही मन मुझे गालियां दी- हर कोई पत्रकार बना फिरता है.
एक युवा पत्रकार मुझसे खबर देने को बार-बार कहता रहता है. उसको फोन किया, तो वह बोला अंकलजी फोटो शानदार खींची है, लेकिन कोई फायदा नहीं, पचास बार छाप दिया, लोकतंत्र वासी मानते ही नहीं.
तब मेरे सीनियर सिटीजन दिमाग ने सोचा कि आज ट्रैफिक पुलिस इंचार्ज से मिलकर शिकायत करता हूं कि टू व्हीलर व कारें तंग बाजार में चलाये जा रहे हैं. लोगों का चलना मुश्किल हो रहा है. कई बार एक्सीडेंट हो चुके हैं. उनके दफ्तर पहुंचा, तो वह अपनी बच्ची को लेने के लिए स्कूल गये हुए थे. पधारने पर हमने उन्हें दोनों फोटो दिखाये और सख्ती से कहा- बाजार में ऐसे गाड़ी ले जाना बिल्कुल गलत है सर. इनका चालान करें. ऐसे लोगों की वजह से बहुत परेशानी होती है, खासतौर पर बुजुर्गों व बच्चों को.
ट्रैफिक बॉस बोले- आपकी बात ठीक है सर. आप पानी पीएं, लेकिन क्या करें, हम भी मजबूर हैं.
मैंने कहा- आप तो कानून के रखवाले हैं जनाब.
वे बोले- क्या करें सर, चालान करते हैं, तो व्यापार मंडल वाले पहुंच जाते हैं. एसपी साहब के पास जाकर उन्हें कहते हैं नंबरी चालान न करें.
मैंने कहा- यह तो कार है, फोटो में ग्राहकों का रश देखिए सर और सामने पुलिस पोस्ट भी है. आपको पता है कि पार्किंग के लिए जगह मिलती नहीं, फिर आप सड़क किनारे मजबूरी में एक मिनट खड़े करने पर भी नंबरी चालान क्यों करते हैं?
वे बोले- बस पूछो न जी, हम तो खुद परेशान हैं.
मैंने उनसे पूछा- यह जो रोड सेफ्टी क्लब वाले बिना हेलमेट के, दो सवारियां बिठाकर बाइक दौड़ाते हैं, मोबाइल सुनते हुए कार को सड़क के बीच में खड़ा कर देते हैं और जहां चाहे पार्क कर देते हैं, इनका क्या?
विनम्रता से उन्होंने कहा- सर आप तो सीनियर सिटीजन हैं, आप सब कुछ समझते हैं. इतना कहकर वे हंसने लगे और अपना नंबर मुझे दिया. एक बार मन में आया कि एसपी से बात करूं. फिर लगा वह भी चाय-पानी पूछकर विदा कर देगा.
फिर मेरी अपनी टांगों ने मुझे समझाया कि कोई फायदा नहीं बेटा, लोक के तंत्र को राजनीति हांकती है. अपनी टांगे सलामत रखो. किसी गलत आदमी की शिकायत करोगे, तो याद रखना बढ़ती उम्र में हड्डियां मुश्किल से जुड़ती हैं. अपनी और पत्नी की सेहत का ध्यान रखो और ध्यान रखना, अपनी बचत को बचा कर रखना भी जरूरी है.