भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां

डॉ जयंतीलाल भंडारी अर्थशास्त्री jlbhandari@gmail.com यकीनन आर्थिक सुधारों के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में तेज वृद्धि हुई है. जीडीपी के आधार पर भारत दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन इस समय अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां हैं. डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये और कच्चे तेल के बढ़ते दामों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2018 7:33 AM

डॉ जयंतीलाल भंडारी

अर्थशास्त्री

jlbhandari@gmail.com

यकीनन आर्थिक सुधारों के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में तेज वृद्धि हुई है. जीडीपी के आधार पर भारत दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, लेकिन इस समय अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां हैं. डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये और कच्चे तेल के बढ़ते दामों ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

सार्वजनिक बैंकों में बढ़ता खराब कर्ज (एनपीए) मार्च 2018 तक चिंताजनक स्तर पर पहुंचते हुए 10.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है. ठोस प्रयासों से जहां अर्थव्यवस्था को और ऊंचाई पर पहुंचाया जा सकेगा, वहीं आम आदमी की खुशहाली भी बढ़ सकेगी.

बीते 11 जुलाई को प्रकाशित विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 के अंत में भारत की जीडीपी 2.6 लाख करोड़ डॉलर (178.59 खरब रुपये) हो गयी. पांच अन्य अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन हैं. विश्व बैंक का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में अच्छा सुधार हुआ है.

यदि भारत आर्थिक और कारोबार सुधारों की प्रक्रिया को वर्तमान की तरह निरंतर जारी रखता है, तो वह वर्ष 2018 में ब्रिटेन को पीछे करते हुए दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी अपनी नयी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है.

भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में जिलेवार कृषि-उद्योग के विकास, बुनियादी ढांचे में मजबूती एवं निवेश मांग के निर्माण में यथोचित वृद्धि करने के लिए जो रणनीति बनायी गयी, उससे 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5,000 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगा, जो अभी 2,500 अरब डॉलर के करीब है.

चीन में 2018 में विकास दर 6.6 फीसदी और 2019 मे 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि आईएमएफ का कहना है कि 2018 में भारत की विकास दर 7.4 फीसदी रहेगी तथा 2019 में 7.8 फीसदी हो जायेगी. जीडीपी में प्रत्यक्ष कर का योगदान बढ़ा है. आर्थिक उदारीकरण के बाद अर्थव्यवस्था को चमकाने में भारतीय मध्यम वर्ग की भी विशेष भूमिका है.

देश की विकास दर के साथ-साथ शहरीकरण की ऊंची वृद्धि दर के बलबूते भारत में मध्यम वर्ग के लोगों की आर्थिक ताकत तेजी से बढ़ी है और भारत का मध्यम वर्ग लंबे समय तक भारत में अधिक उत्पादन, अधिक बिक्री और अधिक मुनाफे का स्रोत बना रहेगा.

देश के सामने कई चुनौतियां भी हैं. एक बड़ी चुनौती तुलनात्मक रूप से कम प्रतिव्यक्ति आय से संबंधित है. देश में आर्थिक असमानता चिंताजनक है. देश में अमीरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

लेकिन आम आदमी की आमदनी तेजी से नहीं बढ़ रही है. इन चुनौतियों का समाधान करने पर ही अर्थव्यवस्था में तेजी आयेगी. इसलिए बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा. निवेश में वृद्धि करनी होगी. नयी मांग का निर्माण करना होगा. विनिर्माण के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाना होगा. युवाओं को विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण से सुसज्जित करना होगा. मेक इन इंडिया योजना को गतिशील करना होगा.

उन ढांचागत सुधारों पर भी जोर देना होगा, जिसमें निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके. तभी भारत में आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की नयी संभावनाएं आकार ग्रहण कर सकती हैं. मेक इन इंडिया की सफलता के लिए कौशल प्रशिक्षित युवाओं की कमी को दूर करना होगा. उद्योग-व्यवसाय में कौशल प्रशिक्षितों की मांग और आपूर्ति में बढ़ता अंतर दूर करना होगा.

पिछले दिनों क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के बढ़ते दाम और रुपये की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट से अब पेट्रोल और डीजल में आ रही तेजी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

ऐसे में यह उचित होगा कि देश को पेट्रोल और डीजल की महंगाई से बचाने के लिए सरकार अपना ध्यान ऊर्जा नीति को नये सिरे से तैयार करने पर केंद्रित करे, ताकि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से होनेवाली आर्थिक मुश्किलों को कम किया जा सके. सरकार द्वारा बिजली से चलनेवाले वाहनों पर काफी जोर देना होगा. इलेक्ट्रिक कारों को टैक्स कम करके बढ़ावा देना होगा.

जून 2018 में नीति आयोग द्वारा दिये गये उस महत्वपूर्ण सुझाव पर गौर करना होगा, जिसमें कहा गया है कि राज्य परिवहन निगमों को लक्ष्य देना होगा कि वे अपने परिवहन बेड़े में एक निश्चित प्रतिशत में इलेक्ट्रिक वाहन शामिल करें. केंद्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि वे सार्वजनिक परिवहन सुविधा को सरल बनायें.

हम आशा करें कि विश्व बैंक की रिपोर्ट के मद्देनजर दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चमकते हुए भारत को आगामी 10-12 वर्षों में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील करने के लिए सरकार विनिर्माण क्षेत्र एवं कौशल प्रशिक्षण को नये आयाम देगी. सरकार मांग और निवेश में वृद्धि करने की डगर पर आगे बढ़ेगी. साथ ही वह स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर यथोचित ध्यान देगी.

सबसे बड़े खतरे के रूप में उभर रही तेल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण और पेट्रोल-डीजल के विकल्पों पर वह नयी रणनीति बनायेगी. आम आदमी की आमदनी बढ़ाने के लिए भी वह रणनीतिक रूप से आगे बढ़ेगी. ऐसा होने पर निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकेगी.

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