शिक्षा, स्वास्थ्य व भ्रष्टाचार पर कड़े फैसले की जरूरत

नोटबंदी और जीएसटी के फैसले लेते वक्त केंद्र सरकार ने जितना कड़ा रुख अपनाया, उतना ही कड़ा फैसला एक बार शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मामले पर लेने की जरूरत है. शिक्षा और स्वास्थ्य पर व्यावसायिक कहर लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. अपनी आय की एक बहुत बड़ी राशि आज लोग शिक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2018 2:34 AM
नोटबंदी और जीएसटी के फैसले लेते वक्त केंद्र सरकार ने जितना कड़ा रुख अपनाया, उतना ही कड़ा फैसला एक बार शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के मामले पर लेने की जरूरत है. शिक्षा और स्वास्थ्य पर व्यावसायिक कहर लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. अपनी आय की एक बहुत बड़ी राशि आज लोग शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं.
इसके बावजूद भी संतोषजनक जीवन परिणाम की गारंटी नहीं है. गली-गली में निजी स्कूलों का खुलना, बच्चों का दाखिला होना इस बात का प्रमाण है कि सरकारी स्कूल की व्यवस्था से लोग खुश नहीं हैं.
अगर अच्छी शिक्षा व अच्छा मार्गदर्शन सरकारी स्कूलों मिलता तो घर पर ट्विटर की आवश्यकता नहीं पड़ती. यही स्थिति स्वास्थ्य जगत में भी देखने को मिल रही है. कुछेक सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को छोड़ दें तो स्वास्थ्य सुविधा नदारद है. लोग मजबूरी में निजी क्लिनिक की ओर रुख करते हैं.
मिथिलेश कुमार, बलुआचक (भागलपुर)

Next Article

Exit mobile version