शपथ ग्रहण समारोह में फिजूलखर्ची

देश की मौजूदा माली हालत को देखा जाये तो प्रधानमंत्री का शाही शपथ ग्रहण समारोह एक फिजूलखर्ची है, जिसकी मेरी नजर में कोई जरूरत नहीं थी. देश की जनता ने विकास और रोजगार के नाम पर भाजपा को वोट दिया था, न कि नेताओं की मौज-मस्ती के लिए. आज जनता दो जून की रोटी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2014 5:13 AM

देश की मौजूदा माली हालत को देखा जाये तो प्रधानमंत्री का शाही शपथ ग्रहण समारोह एक फिजूलखर्ची है, जिसकी मेरी नजर में कोई जरूरत नहीं थी. देश की जनता ने विकास और रोजगार के नाम पर भाजपा को वोट दिया था, न कि नेताओं की मौज-मस्ती के लिए. आज जनता दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रही है और हमारे देश के नेता 28 राज्यों के अलग-अलग पकवानों का जायका ले रहे हैं.

पहले देश की हालत दुरुस्त कीजिए, जनता के लिए भोजन की व्यवस्था कीजिए और फिर बाद में खुद मौज मनाइए. तब आपको भी वास्तव में मजा आयेगा. माना कि यह देश के प्रोटोकॉल का मामला है, लेकिन इसमें फिजूलखर्ची रोकी जानी चाहिए थी. सरकार को अनावश्यक दिखावे से बचना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि अपने संसाधन का समुचित उपयोग जनता की भलाई में करे.

सुशील बारला, रांची

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