देश भर में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल हैं. सरकारी अस्पतालों की स्थिति किसी सेे छुपी नहीं है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक चिकित्सक पहुंच ही नहीं पाते हैं. मामूली दवाएं भी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं रहती हैं. इनको सुधारने के मकसद से पिछले बजट में प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा की थी. काश, साथ में उन्होंने कम से कम उन राज्यों में सरकारी अस्पतालों को भी सुधारने का काम किया होता, जहां उनके अपने मुख्यमंत्री हैं.
अगर सरकारी अस्पतालों की स्थिति में कोई सुधार नहीं लाया जाता, तो बीमा योजना किस काम की होगी? जब तक देशवासी इन चीजों को लेकर धीरज दिखाते रहेंगे, तब तक सुधार नहीं आने वाला. मंत्रियों के लिए विदेशों में इलाज करवाने की सुविधाएं बंद की जानी चाहिए. कहने को तो यह छोटा-सा कदम लगता है, लेकिन जब राजनेताओं को यह लगने लगता है कि जनता समझदार हो गयी है, तो वे खुद सावधान होने लग जाते हैं.
डाॅ हेमंत कुमार, भागलपुर