जब भी किसी प्रदेश या देश में सूखा पड़ता है, तब वहां पर जल की भारी कमी देखने को मिलती है और लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता है. लेकिन, संकट टल जाने के बाद जल संचय अथवा जल को भविष्य के लिए सुरक्षित कैसे रखा जाये इसके विषय में सोचने के बजाय दोहन शुरू कर दिया जाता है. हालांकि इसके लिए सरकारी महकमा भी कम जिम्मेदार नहीं है.
सड़कों पर अक्सर टूटे हुए नल से हजारों लीटर पानी की बर्बादी होती रहती है, परंतु इसे दुरुस्त करने के मामले में बहुत ही लापरवाही बरती जाती है. बर्बाद होनेवाले पानी को अगर संचित कर लिया जाये तो काफी हद तक जल संकट से निबटा जा सकता है. जल जीवन देने वाला तत्व है और इसकी कमी हो जाये तो परिणाम बहुत ही भयावह होंगे. इसलिए जल संचय के प्रति हर व्यक्ति को गंभीर होना होगा.
राजकुमार, महेंद्रू (पटना)