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ऐसी अपूरणीय क्षति को रोकना ही होगा

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे का सड़क दुर्घटना में निधन किसी ‘यूनानी ट्रेजडी’ से कम नहीं है. विधि ने उनके साथ मृत्यु का क्रूर खेल उस वक्त खेला, जब वे अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पर पहुंचकर एक वृहत्तर भूमिका के लिए कमर कस रहे थे. सहज व्यक्तित्व और बेलाग-लपेट की बात कहनेवाले गोपीनाथ […]

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ मुंडे का सड़क दुर्घटना में निधन किसी ‘यूनानी ट्रेजडी’ से कम नहीं है. विधि ने उनके साथ मृत्यु का क्रूर खेल उस वक्त खेला, जब वे अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पर पहुंचकर एक वृहत्तर भूमिका के लिए कमर कस रहे थे. सहज व्यक्तित्व और बेलाग-लपेट की बात कहनेवाले गोपीनाथ मुंडे की गिनती जमीन से जुड़े राजनेताओं में होती थी.

ग्रामीणों से सीधे संवाद और उनके बुनियादी मुद्दों के इर्द-गिर्द राजनीति करनेवाले उन सरीखे राजनेताओं की संख्या मीडियामुखी होते समाज में कम होती जा रही है. किसी की असामयिक मृत्यु पर हम अकसर यह कहकर दिल को दिलासा देते हैं कि विधि को ऐसा ही मंजूर था, लेकिन यह बात भी याद रखी जानी चाहिए कि मुंडे की मृत्यु एक सड़क हादसे में हुई, यानी एक ऐसी वजह से, जो मनुष्यकृत है. सड़क हादसों में देश का रिकार्ड गवाह है कि एक व्यवस्था के रूप में तेजरफ्तारी के साथ तालमेल बिठाते हुए ठीक से जीना हमसे अभी नहीं सध सका है. सड़क हादसों में किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा लोग (दुनिया का दस फीसदी) भारत में जान गंवाते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रति 1 लाख की आबादी पर सड़क हादसों में होनेवाली मृत्यु की दर साल 2009 में 16.8 (व्यक्ति) थी, जो 2013 में बढ़कर 18.9 हो गयी. उच्च आमदनी वाले देशों में यह दर भारत की तुलना में करीब आधी (8.7 व्यक्ति प्रति लाख आबादी) है. इसमें भारत का रिकार्ड पाकिस्तान (17.4), नेपाल (16), श्रीलंका (13.7), भूटान (13.2) और बांग्लादेश (11.6) से भी बदतर है. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2011 में देश में 4,40,123 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,36,834 लोगों ने जान गंवायी. गणना के आधार पर कहा जा सकता है कि हर पांच मिनट में भारत की सड़कों पर एक व्यक्ति की जान जा रही है. इतना ही नहीं, 2001 से 2011 के बीच मानव जनित दुर्घटनाओं में मरनेवालों की संख्या में तकरीबन 44 फीसदी का इजाफा हो गया है. जाहिर है, गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन से सबक लेते हुए राजव्यवस्था को सड़कों पर सुरक्षा और बचाव के चौतरफा उपाय करने की जरूरत है. शायद यही इस लोकप्रिय राजनेता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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