झारखंड में सीटेट को मिले मान्यता
एक ओर जहां झारखंड में टेट परीक्षा काफी लंबे अंतराल में होता रहा है, वहीं केंद्रीय टेट उत्तीर्ण झारखंड के अभ्यर्थियों को यहां की नियुक्तियों में मौका नहीं मिल रहा है. स्थानीय नीति लागू होने के बाद अब इसकी जरूरत महसूस की जाने लगी है. राज्य में सात साल के अंतराल में अब तक मात्र […]
एक ओर जहां झारखंड में टेट परीक्षा काफी लंबे अंतराल में होता रहा है, वहीं केंद्रीय टेट उत्तीर्ण झारखंड के अभ्यर्थियों को यहां की नियुक्तियों में मौका नहीं मिल रहा है.
स्थानीय नीति लागू होने के बाद अब इसकी जरूरत महसूस की जाने लगी है. राज्य में सात साल के अंतराल में अब तक मात्र दो बार ही शिक्षक पात्रता परीक्षा हुई है जबकि केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) हर छह माह में होती रही है. काफी संख्या में इस राज्य के अभ्यर्थी इस परीक्षा को पास कर बेरोजगार बैठे हुए हैं.
राज्य के शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में मौका देने के लिए सीटेट को मान्यता देना चाहिए. यह इसलिए भी जरूरी है कि पहली बार झारखंड में हुए टेट परीक्षा की निर्गत प्रमाण पत्र की मान्यता समाप्त हो चुकी है. सीटेट को मान्यता देने से वैसे अभ्यर्थियों को यहां फायदा हो जायेगा जिन्होंने झारखंड निवासी होते हुए इस परीक्षा को पास किया है. राज्य में काफी संख्या में पारा टीचर भी है जिन्हें इसका फायदा मिल जायेगा.
निशा सिन्हा, बोकारो