नजरिया बदलना होगा सरकार को
क्या आज शिक्षक को समाज में वह स्थान प्राप्त है, जो प्राचीन काल में था? क्या आज के किसी शिक्षक का स्थान चाणक्य जैसा है? सरकार की प्राथमिकताओं में वह किस क्रम में आता है? क्या समाज और सरकार उसे उतना महत्व देती है, जितना होना चाहिए? शायद नहीं. इसलिए आज शिक्षा के पेशे में […]
क्या आज शिक्षक को समाज में वह स्थान प्राप्त है, जो प्राचीन काल में था? क्या आज के किसी शिक्षक का स्थान चाणक्य जैसा है? सरकार की प्राथमिकताओं में वह किस क्रम में आता है?
क्या समाज और सरकार उसे उतना महत्व देती है, जितना होना चाहिए? शायद नहीं. इसलिए आज शिक्षा के पेशे में योग्य और होनहार विद्यार्थी नहीं आना चाहते. यदि युवाओं से पूछा जाये कि वे क्या बनना चाहते हैं, तो अध्यापक बनने की लालसा रखने वाले छात्र बहुत कम मिलेंगे.
ऐसे बहुत से सर्वेक्षण हुए हैं, जिनमें शीर्ष दस पेशों में अध्यापन आठवें-नौवें क्रम में आता है. शिक्षा में अच्छे और प्रतिबद्ध युवा आएं, इसके लिए सरकारों को अपना नजरिया बदलना होगा, क्योंकि शिक्षा का पेशा एक ऐसा पेशा है, जिस पर अन्य सभी पेशे निर्भर होते हैं.
डॉ हेमंत कुमार, भागलपुर