स्थानीयता नीति पर अच्छी पहल

झारखंड के लिए एक अच्छी खबर है. जिस स्थानीयता नीति को बनाने को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है, वह काम थोड़ा ही सही, पर आगे बढ़ा है. अर्जुन मुंडा सरकार के दौरान भी कमेटी बनी थी, लेकिन तब सरकार चली गयी और कुछ काम नहीं हुआ. हेमंत सरकार ने फिर कमेटी बनायी. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2014 4:42 AM

झारखंड के लिए एक अच्छी खबर है. जिस स्थानीयता नीति को बनाने को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है, वह काम थोड़ा ही सही, पर आगे बढ़ा है. अर्जुन मुंडा सरकार के दौरान भी कमेटी बनी थी, लेकिन तब सरकार चली गयी और कुछ काम नहीं हुआ. हेमंत सरकार ने फिर कमेटी बनायी. इस बार कुछ प्रगति दिख रही है. बहुत संभव है कि यह कमेटी इसी माह अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपे.

जो खबरें आयी हैं, उसके अनुसार झारखंड बनने के 15 साल पहले से यहां रहनेवाले सभी लोगों को झारखंडी माना जायेगा. यानी 1985 कटऑफ ईयर हो सकता है. यही मापदंड झारखंड के साथ बने राज्य उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का है. कमेटी के कुछ सदस्य 15 साल की जगह 20 साल चाहते हैं और इस पर मंथन जारी है. दूसरी जिस बात पर चर्चा आगे बढ़ी है, वह है मूलवासी की परिभाषा पर.

मूलवासी वे होंगे जो या तो खतियानी हैं या जिनके पास खतियान नहीं है मगर वे अंतिम सर्वे के आसपास का कुछ अन्य दस्तावेज दिखा सकें. तीसरे और चतुर्थ वर्ग के पद मूलवासियों के लिए होंगे. पूरे झारखंड में भरतियां प्रभावित इसलिए है क्योंकि यहां स्थानीयता नीति नहीं है. अब स्थानीयता नीति बनने के लिए मजबूत आधार तैयार है, इसलिए इस मामले को जितना जल्द हो निबटा लेने से ही रोजगार का रास्ता खुलेगा. कमेटी को इस बात पर ध्यान देना होगा कि कहीं किसी के साथ अन्याय नहीं हो.

जमशेदपुर शहर, परसुडीह और पलामू में लीज की जमीन है. झारखंड के जिन शहरों में खासमहल की जमीन है, वहां तो उनका खतियान नहीं बनता. ऐसे में कमेटी को निदान खोजना चाहिए. समय कम है. हो सकता है कि अगस्त में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाये. इसलिए अगर स्थानीयता नीति पर कोई फैसला सरकार को लेना है, तो जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार हो जाये. अगर लोगों से राय लेनी है, सर्वदलीय बैठक करनी है, कैबिनेट में इसे लाना है, विधानसभा से पारित कराना है, तो इसके लिए तेजी से पहल करनी होगी. ऐसा न हो कि कमेटी की रिपोर्ट पड़ी रह जाये. बेहतर तो होता कि दो माह में इसे लागू कर नियुक्तियों की प्रक्रिया आरंभ की जाती. जो भी हो, अगर जल्द स्थानीयता नीति बन जाती है, तो झारखंड के विकास में बड़ी बाधा दूर हो सकती है.

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