अराजक उड़ान सेवाएं

बेहद सुविधाजनक और समय की बचत करनेवाली हवाई यात्रा थोड़ी-सी चूक से यातनादायी भी हो सकती है. गुरुवार सुबह मुंबई से जयपुर जा रहे जेट एयरवेज के एक विमान के यात्रियों को ऐसे ही भयावह अनुभव से गुजरना पड़ा. उस विमान के भीतर हवा का समुचित दबाव बनाये रखनेवाले बटन को चालू नहीं करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2018 1:07 AM
बेहद सुविधाजनक और समय की बचत करनेवाली हवाई यात्रा थोड़ी-सी चूक से यातनादायी भी हो सकती है. गुरुवार सुबह मुंबई से जयपुर जा रहे जेट एयरवेज के एक विमान के यात्रियों को ऐसे ही भयावह अनुभव से गुजरना पड़ा. उस विमान के भीतर हवा का समुचित दबाव बनाये रखनेवाले बटन को चालू नहीं करने के कारण यात्रियों के कान और नाक से खून निकलने लगा था.
किसी भी विमान को कई स्तरों की जांच के बाद ही उड़ाया जाता है. चालक, परिचारक और रख-रखाव करनेवाले कर्मचारियों के लिए निर्देश स्पष्ट हैं. इसके बावजूद ऐसी लापरवाही बरती गयी, जिससे 166 यात्रियों और चालकों के साथ-साथ पांच विमानकर्मियों की जान खतरे में पड़ी. यह कोई अकेला मामला नहीं है. करीब एक माह पहले दिल्ली से लंदन जा रहा इसी कंपनी का एक जहाज उड़ान यातायात नियंत्रक की मंजूरी के बिना ही उड़ने के लिए हवाईपट्टी पर दौड़ने लगा था.
उस जहाज में 337 यात्री सवार थे. समय रहते नियंत्रण कक्ष ने विमान चालक की गलती को पकड़ लिया और उसे रुकने का आदेश दिया. विमानन के क्षेत्र में जेट एयरवेज सबसे बड़ी कंपनियों में से है और हमारे देश में यात्रियों की संख्या के हिसाब से इसकी भागीदारी करीब 18 फीसदी है. कुछ अन्य कंपनियों के साथ इस विमान सेवा पर भी यात्रियों से अनुचित बरताव करने और अपेक्षित सेवा नहीं प्रदान करने के अनेक आरोप हैं. ऐसी खबरें भी आती रहती हैं कि चालकों की चूक या निर्देशों को अनसुना कर देने के कारण जहाजों की टक्कर होते-होते बची.
इस साल चार ऐसी गंभीर घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें विभिन्न कंपनियों के जहाज शामिल थे. इस साल मई में दिल्ली हवाई अड्डे पर घटी एक घटना में तो इंडिगो का एक जहाज उड़ाने के लिए चालक ही नहीं थे और यात्रियों को इंतजार करना पड़ा था. कई ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जिनमें सुविधा की मांग करने या शिकायत करने पर विमानकर्मियों ने यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया. टिकट दरें घटाने की प्रतिद्वंद्विता में हवाई सेवाएं यात्रियों की सुविधाओं में बड़े पैमाने पर कटौती कर रही हैं.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि उड़ानें पहले से काफी सस्ती हुई हैं और हवाई सेवा का व्यापक विस्तार हुआ है. इसका स्वाभाविक परिणाम यह हुआ कि यात्रियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इस क्षेत्र में विकास को बनाये रखना है, तो कंपनियों को मुस्तैदी से काम करना होगा. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि गलाकाट प्रतिस्पर्द्धा, मुनाफे की होड़ और चालकों-परिचारकों की लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को न भुगतना पड़े.
नागरिक विमानन मंत्रालय के अधीनस्थ विभाग विमानन निदेशालय को इस क्षेत्र का मुख्य नियामक होने के नाते सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने और हवाई यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए निगरानी का ठोस प्रबंध करना चाहिए. किसी घटना की जांच का मतलब सिर्फ यह नहीं होना चाहिए कि दोषी को दंडित किया जाये, बल्कि उससे सीख लेने की पहल भी होनी चाहिए, ताकि यात्रियों को जान-माल का खतरा न उठाना पड़े.

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