विजय माल्या की तरह कट ले!

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com बड़े बुरे टाइप के दिन आये हैं. कभी टाॅप क्लास रही एयरलाइंस के कर्मी हवाई जहाज का कोई स्विच दबाना भूल रहे हैं. एक दिन ऐसी गलती पर केबिन के अंदर वायु दबाव में हेरफेर हो गया. उड़ान के दौरान पैनिक मच गया. इसी एयरलाइंस में कुछ दिन पहले सैलरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 24, 2018 7:05 AM

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

puranika@gmail.com

बड़े बुरे टाइप के दिन आये हैं. कभी टाॅप क्लास रही एयरलाइंस के कर्मी हवाई जहाज का कोई स्विच दबाना भूल रहे हैं. एक दिन ऐसी गलती पर केबिन के अंदर वायु दबाव में हेरफेर हो गया.

उड़ान के दौरान पैनिक मच गया. इसी एयरलाइंस में कुछ दिन पहले सैलरी भुगतान का संकट उठा था. कुछ समय पहले एक सरकारी एयरलाइंस के पायलट लोगों ने सरकार को खत लिखा था कि हमारे भत्ते वगैरह का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है. इससे हम टेंशन में रहते हैं, टेंशन में कुछ का कुछ हो जाये, तो फिर हमें ना पता.

लो जी एयरलाइंस में टेंशन में कुछ का कुछ हो लिया. कोई स्विच दबाना भूल रहा है. ज्यादा टेंशन हो लिया, तो पता लगा कि पायलट उड़ाकर ले गया सारे यात्रियों को किसी किडनैपर के अड्डे पर. फिर मांग हो कि लाओ भई रकम निकालो, ताकि हमारे पुराने भत्तों का भरपाई हो सके.

और अगले एक साल की सैलरी का जुगाड़-पानी करो, तब तुम्हें रिहा करेंगे. सैलरी वगैरह सबको टाइम पर मिलती रहे, यह यात्री सुरक्षा के लिए जरूरी है. सैलरी न मिले ढंग से, तो आदमी कुछ भी कर सकता है.

उड़ान के कारोबार को लेकर मुझे आशंकाएं हो रही हैं. दिल्ली से यात्री चढ़े रांची की फ्लाइट में करीब दो घंटे बाद पता चला कि फ्लाइट चेन्नई लैंड कर गयी है. पूछने पर बताया जाये कि चेन्नई के पैसेंजर ज्यादा मिल गये, तो पहले वहां कूच कर गये. नकद नहीं था, अब कैश आ गया है, तो पूरा ईंधन लेकर चलेंगे. अब तक तो जहाज रिजर्व में चल रहा था.

हवाई जहाज रिजर्व में चलने लगें, ऐसी दुर्दशा या तो सरकार के हाथों में हो सकती है या विजय माल्या जैसों के हाथों में.

अभी कई सरकारी तेल कंपनियों ने सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया को हड़काया है कि बिल ना चुका रहे हो, रोज ईंधन भरवाये जा रहे हो, करीब 5,000 करोड़ बकाया हो लिये हैं.

बकाये की खुंदक में किसी दिन पेट्रोल देनेवाली कंपनी का कोई कर्मचारी ईंधन की जगह हवा भरकर बोल देगा कि हो ली टंकी फुल. खुंदकी कर्मचारी हवाई जहाज की मशीन में ऐसे खुरपेंच कर सकता है कि ईंधन का मीटर फुल दिखाये. पायलट उड़ेगा, तो पता चलेगा कि सच में अब तो वापस उतरने भर का पेट्रोल तक नहीं है. उधर सरकार ने भुगतान अटकाया, इधर यात्रियों की जान अटक गयी.

सरकार जिस अंदाज में अपनी एयरलाइंस चला रही है, उसे देख लगता है कि माल्या ही इस एयरलाइंस के निदेशक मंडल में हैं. सरकार और माल्या में एयरलाइंस डुबोने के मामले में सिर्फ एक फर्क है कि माल्या लंदन निकल लिये और तमाम तेल कंपनियों को राहत दे गये कि अब नयी उधारी न खड़ी हो रही है.

पर सरकार कहीं न भाग रही है, तो तेल कंपनियों की उधारी बढ़ती जा रही है. कई बार तो लगता है कि विजय माल्या बहुत बड़ी राहत थे. भाग लिये, तो तमाम कांड उधारी जाल बट्टा रुक लिया. सरकारी तेल कंपनियां दुआ मांग सकती हैं- काश सरकार भी विजय माल्या की तरह कट ले.

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