चारा घोटाले की तर्ज पर झारखंड में तालाबों की खुदाई में अनियमितता पायी गयी है. दुमका में जांच में गड़बड़ी पाये जाने पर भी कार्रवाई नहीं की गयी. खुलासा होने के बावजूद अभी जांच का झुनझुना जनता को पकड़ाया जा रहा है.
भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कई दस्तावेजों में न तो पानी पंचायत के अध्यक्ष व सचिव के हस्ताक्षर हैं और न ही पदाधिकारी के. संबंधित अधिकारियों की हिम्मत बढ़ गयी है और वे पैसे जोड़ने में इतने लिप्त हैं कि सभी नियमों को ताक पर रख कर बिना नंबर वाली 52 जेसीबी, पोकलेन और ट्रैक्टर काे भुगतान कर दिया. कुल मिलाकर हालत यह है कि ‘राम नाम की लूट मची है, लूट सके तो लूट’ वाली कहावत की तरह जनता के पैसे सरकार खजाने से लूटे जा रहे हैं. इसलिए मुख्यमंत्री जी को कार्रवाई के आदेश देने के बाद भी इस मामले को विशेष संज्ञान लेना चाहिए .
सीमा साही, बोकारो