एक और जबर्दस्त फैसला

पिछले दिनों समलैंगिकता पर फैसले के बाद उच्चतम न्यायालय का एक और अहम व जबर्दस्त फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. बेंच ने आधार एक्ट, 2016 की धारा-57 को रद्द कर दिया है. इसके तहत सरकारें और निजी कंपनियां आधार की जानकारी मांग सकती थीं. इसके रद्द […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2018 8:20 AM
पिछले दिनों समलैंगिकता पर फैसले के बाद उच्चतम न्यायालय का एक और अहम व जबर्दस्त फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. बेंच ने आधार एक्ट, 2016 की धारा-57 को रद्द कर दिया है. इसके तहत सरकारें और निजी कंपनियां आधार की जानकारी मांग सकती थीं. इसके रद्द होने से प्राइवेट कंपनियां अब वेरिफिकेशन के लिए आधार का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी की निजता के अधिकारों को बरकरार रखा है. इनसे बैंक खाता, सिम कार्ड, स्कूल, एयरलाइंस, ट्रेवल एजेंट और निजी कंपनियों के लिए आधार की बाध्यता खत्म हुई. कंपनियों ने जो डेटा जुटाया है, उसे खत्म कराया जाए. मुझे खुशी है कि डेटा की सुरक्षा और निजता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सही फैसला दिया. हमें आधार के मसले पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है, ताकि इसका कोई दुरुपयोग न कर सके.
गुलाम गौस आसवी, धनबाद.

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