साझा विजन की दरकार
।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।(अर्थशास्त्री)वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को निरंतर चेतावनी दी जा रही है कि आर्थिक सुधारों की गति में तेजी न आने की स्थित में भारत की रेटिंग को गिराया जा सकता है. वर्तमान में भारत की रेटिंग न्यूनतम इनवेस्टमेंट ग्रेड पर है. इससे गिरने पर भारत की रेटिंग ‘जंक’ यानी […]
।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।
(अर्थशास्त्री)
वैश्विक रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत सरकार को निरंतर चेतावनी दी जा रही है कि आर्थिक सुधारों की गति में तेजी न आने की स्थित में भारत की रेटिंग को गिराया जा सकता है. वर्तमान में भारत की रेटिंग न्यूनतम इनवेस्टमेंट ग्रेड पर है. इससे गिरने पर भारत की रेटिंग ‘जंक’ यानी कूड़े बराबर हो जायेगी. ऐसा होने पर विदेशी निवेशकों के पलायन की आशंका बनेगी. भारतीय उद्यमियों के लिए विदेशों से ऋण लेना भी कठिन हो जायेगा.
आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने पर देश में आम सहमति का नितांत अभाव दिख रहा है. जनता उद्वेलित है. नेताओं, अफसरों एवं उद्यमियों द्वारा वह देश के संसाधनों को लुटते हुए देख रही है. आर्थिक सुधारों के लागू होने के बाद इस लूट में विशेष वृद्घि हुई है. आर्थिक सुधारों को स्थगित करते हैं तो देश की रेटिंग गड़बड़ाती है और आर्थिक विकास बाधित होता है. इसके विपरीत आर्थिक सुधारों को गति देते हैं तो देश की जनता उद्वेलित होती है, राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ती है और अंतत: आर्थिक विकास बाधित होता है. इससे देश की सरकार ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ में पड़ी हुई है.
संसद का मुख्य कार्य है जनता के विभिन्न विचारों के मध्य समन्वय स्थापित करना. जैसे वर्कर चाहता है कि वेतन ऊंचे हों और उद्यमी चाहता है कि वेतन न्यून हों तो संसद कानून बना कर वेतन निर्धारित कर देती है. दोनों के मध्य विवाद समाप्त हो जाता है. वर्तमान में संसद भटक गयी है. अब संसद का उद्देश्य वर्ग विशेष के हितों को आगे बढ़ाना हो गया है. इस परिप्रेक्ष्य में संसद के ठीक से कार्य करने के सिद्घांतों पर दृष्टि डालना जरूरी है.
लोकतंत्र का एक मूल सिद्घांत पुनर्वितरण का है. भारत के संविधान में जनता के कल्याण को ही सरकार का प्रमुख उद्देश्य माना गया है. परंतु भारत की जनता का दुर्भाग्य है कि सरकार की चाल इसके विपरीत है.
वर्तमान सरकार की मूल पॉलिसी कॉरपोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हित में देश को चलाने की है, जैसा कि 2जी स्पेक्ट्रम तथा कोलगेट विवादों से दिखता है. राइट टू फूड जैसे कानून से सरकार अपने इस चरित्र पर चादर डालने मात्र का प्रयास कर रही है. सरकार की इस अमीरपरक नीति पर आम सहमति नहीं बन पा रही है. संसद में जो बिखराव है वह जनता के मूल असंतोष का प्रतिबिंब मात्र है.
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एडम मोरोविट्ज बताते हैं कि संसद के सुचारु रूप से चलने के लिए जरूरी है कि सत्ता एवं विपक्ष के बीच एक साझा विजन हो. जैसे नेहरू एवं लोहिया के बीच साझा विजन था कि वे समतापरक एवं समृद्घ देश बनाना चाहते थे. वर्तमान में इस साझा विजन का अभाव है. सत्ता पक्ष देश को अमीरों एवं बढ़ती असमानता के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहता है. विपक्ष इससे सहमत नहीं है, यद्यपि उसके पास अपना विजन भी नहीं है. इसलिए किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पा रही है.
संसद में सांसद चर्चा के लिए एकत्रित होते हैं. चर्चा से अलग-अलग विचारों के बीच संवाद पैदा होता है. जैसे एक पार्टनर कहे कि दो बड़े शोरूम का मैनेजमेंट आसान होगा और दूसरा कहे कि चार छोटे शोरूम खोलने से फैलाव का लाभ होगा, तो चर्चा करके वे तीन शोरूम पर सहमति बना सकते हैं. परंतु ऐसी खुली चर्चा तभी संभव है जब दोनों पार्टनर झुकने और एक-दूसरे की बात सुनने-समझने को तैयार हों.
वर्तमान सरकार की रणनीति है कि विपक्ष के विरोध के बावजूद अपनी पॉलिसी ज्यों का त्यों लागू करें. यदि संसद चली तो वोट के आधार पर विपक्ष हार जायेगा और अनचाहे ही उसे अमान्य पॉलिसी का अनुमोदन करना होगा. उधर, विपक्ष की पॉलिसी है कि संसद चलने ही न दिया जाये.
सांसद जनता के बीच एक विजन रखने में नाकामयाब हैं. सरकार किन्हीं विशेष वर्गो के द्वारा देश के संसाधनों के दोहन का समर्थन कर रही है. सरकार व विपक्ष दोनों ही छिछली बातें कर रहे हैं. संसद के प्रति जन विश्वास नहीं रह गया है. इसलिए विपक्ष ने आक्रामक रूप धारण किया है और संसद को चलने से रोक रही है, जो ठीक है, क्योंकि संसद चलने से जनहानि की प्रबल संभावना दिखती है.
आर्थिक सुधारों का पैरॉलिसिस में पड़े रहना अच्छा ही है. जरूरत है कि सुधारों के मूल ढांचे पर पुनर्विचार हो. वर्तमान स्ट्रेटजी है कि नेताओं, अफसरों और उद्यमियों को देश के संसाधनों का दोहन करने दो. उद्यमियों के बढ़े लाभ के एक हिस्से को टैक्स के रूप में वसूल कर मनरेगा जैसे कार्यक्रमों से जनता में पुर्नवितरित कर दो. इस मॉडल को देश ने ठुकरा दिया है. इसका विकल्प सामने आने पर ही वर्तमान पॉलिसी पैरालिसिस दूर होगी.