प्रेम में आधार कार्ड

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है कि निजी कंपनियां अब आधार की मांग उपभोक्ताओं से नहीं कर सकतीं, पर इसका आयकर मसलों में इस्तेमाल होगा. आय में आधार कार्ड जा रहा है, पर मानवीय गतिविधियों के अनेक क्षेत्र आधार से वंचित हो रहे हैं. एक मित्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 1, 2018 5:12 AM
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है कि निजी कंपनियां अब आधार की मांग उपभोक्ताओं से नहीं कर सकतीं, पर इसका आयकर मसलों में इस्तेमाल होगा. आय में आधार कार्ड जा रहा है, पर मानवीय गतिविधियों के अनेक क्षेत्र आधार से वंचित हो रहे हैं.
एक मित्र रो रहे थे. बता रहे थे कि उनकी महिला मित्र ने उनके साथ बेवफाई की है और उनकी महिला मित्र के सात और भी संबंध हैं. मन हुआ कि उन्हें बता दूं कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का आशय यह भी है कि ऐसे संबंधों में कुछ भी गलत नहीं है.
नहीं बताया, क्या पता प्यार के साथ-साथ उनका भरोसा कानून व्यवस्था से भी उठ जाये. प्रेम में विफल बंदा शराब कंपनियों का फायदा कराता है. अर्थव्यवस्था, कारोबार में उसकी वही सार्थक भूमिका बनी रहनी चाहिए. उसे कानून व्यवस्था के लिए समस्या नहीं बनना चाहिए.
इन ही मित्र की वह महिला मित्र कल दुखड़ा रोकर गयी थीं कि उस मित्र के करीब पच्चीस और संबंध हैं. दोनों के पास ही जो सबूत थे, उनका ताल्लुक टेलीकाॅम क्षेत्र की निजी कंपनियों से था. फेसबुक, व्हाॅट्सअप के जरिये भेजे गये संदेशों को दोनों लोग बतौर सबूत दिखा रहे थे.
अब यह तो कहना मेरा बनता नहीं था कि देखो भई एक से सब्र कर लो. सुप्रीम कोर्ट ही ना दे रहा है यह ताकीद, तो मैं कौन बाबा-प्रवचनकर्ता हो रहा हूं. और फिर बाबा प्रवचनकर्ताओं की लाइफ देख लें, तो उनके मामले बहु-संबंध के नहीं बहु-बलात्कार के हैं.
इन दिनों इस तरह के मसलों पर शांत ही हो जाना चाहिए. जो समाज को दिशा दिखाने के दावे करते हैं, उन बाबाओं-प्रवचनकर्ताओं की दिशा में समाज चल निकले, तो रेप मामलों में तेज बढ़ोत्तरी हो जायेगी.
खैर, प्रेम में परस्पर धोखाधड़ी के मामलों की रोकथाम के लिए जरूरी है कि प्रेम में आधार को जरूरी कर दिया जाये. बंदा प्रेम में जाये, तो अपना आधार रजिस्टर्ड करा दे सामनेवाली पार्टी के आधार नंबर के साथ. टेलीकाॅम कंपनियों के पास यह आधार डेटा रहे. यह सिस्टम ऐसे काम करेगा- जैसे बंदा एक्स और बंदी वाई प्रेम में हैं, आपस में इनके लव संदेश चल रहे हैं, ओके. एक आधार का कनेक्शन इसी वाले रजिस्टर्ड दूसरे से है, तो ओके.
पर जैसे ही एक आधारधारी के संदेश किसी और नंबर पर जाने लगें, तो संबंधित पक्षों को चेतावनी संदेश मिलना शुरू हो- आपका आधार तो इस प्रेम-पार्टी से लिंक है, आपके आधार से जुड़े नंबर संदेश तीन और पार्टियों को जा रहे हैं. इसकी जानकारी उस प्रेम-पार्टी को दी जा रही है, जिसके साथ आपने अपना नंबर मूल रूप से लिंक कराया था.बस! एक झटके में सारा मामला पकड़ में आ जायेगा.
तकनीक का प्रेम-संरक्षण के लिए सार्थक इस्तेमाल होना चाहिए. प्रेम में तकनीक का सार्थक योगदान हो. पर यही तकनीक तो पच्चीस-पच्चीस अफेयर चलाने की सुविधा मुहैया करा रही है. जी, उस पर कुछ ना कहें- इस कथन को तमाम बाबा-प्रवचनकर्ताओं की व्यक्तिगत बेइज्जती मानी जायेगी.

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