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एनएच-33 की बदहाली पर चुप्पी
भारतीय राजनीति में अवसरवादिता चरम पर है. हद तो यह है कि सरकार की नाकामियां संवैधानिक तरीके से छुपायी जा रही हैं. पिछले चार-पांच सालों से एनएच-33 पर काम चल रहा है, पर अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. जमशेदपुर से रांची तक राजनेताओं का आवागमन के कारण कुछ जगह तो ठीक बन गये […]
भारतीय राजनीति में अवसरवादिता चरम पर है. हद तो यह है कि सरकार की नाकामियां संवैधानिक तरीके से छुपायी जा रही हैं. पिछले चार-पांच सालों से एनएच-33 पर काम चल रहा है, पर अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.
जमशेदपुर से रांची तक राजनेताओं का आवागमन के कारण कुछ जगह तो ठीक बन गये है, पर गालूडीह से जमशेदपुर तो बिलकुल ही खराब है. काम पूरी तरह ठप्प है. कांट्रैक्टर फरार है. रकम की अग्रिम निकासी हो चुकी है और सरकार व अदालत दोनों परेशान है, पर समाधान कुछ नहीं है. रोज गाड़ियां खराब हो रही हैं.
यात्री परेशान हो रहे हैं. बड़ी दुर्घटनाएं हो रही हैं. केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकारें हैं फिर भी यथास्थिति बनी हुई है. दोनों सरकारों को एनएच-33 की सुध लेनी चाहिए और अविलंब काम शुरू करवाना चाहिए. एनएच-33 झारखंड की लाइफलाइन है पर इसकी बदहाली पर चुप्पी चिंतनीय है.
डॉ मनोज ‘आजिज’, आदित्यपुर, जमशेदपुर
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