बिजली संकट पर सियासत के झटके

इन दिनों देश के अन्य इलाकों की तरह झारखंड में भी गरमी अपने चरम पर है. बढ़ती गरमी के साथ ही राज्य में बिजली का संकट गहरा हो गया है. इसके चलते लोगों में गुस्सा है. और, जब लोग गुस्से में हों तो सियासी पार्टियों के लिए सुनहरा मौका होता है, जनता को गोलबंद करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2014 12:59 AM

इन दिनों देश के अन्य इलाकों की तरह झारखंड में भी गरमी अपने चरम पर है. बढ़ती गरमी के साथ ही राज्य में बिजली का संकट गहरा हो गया है. इसके चलते लोगों में गुस्सा है. और, जब लोग गुस्से में हों तो सियासी पार्टियों के लिए सुनहरा मौका होता है, जनता को गोलबंद करने का. लोगों की नब्ज पकड़ कर भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा हजारीबाग में बिजली की आंखमिचौनी के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े.

प्रशासन को मजबूर किया कि उन्हें गिरफ्तार किया जाये. दिलचस्प है कि जो भाजपा अरविंद केजरीवाल के मुचलका नहीं भर कर जेल जाने को नौटंकी बता रही थी, उसी के नेता यशवंत सिन्हा ने भी जमानत नहीं ली और जबरन जेल गये. अब पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी हो गयी है. रविवार को अजरुन मुंडा, निशिकांत दुबे, रवींद्र पांडेय, अकेला यादव समेत पार्टी के कई बड़े नेता उनसे मिलने जेल में पहुंचे और मंगलवार को रामगढ़ व हजारीबाग बंद कराने का एलान कर दिया गया.

रविवार को पूरे संताल परगना में बंद कराया गया. बसें नहीं चलीं, दुकानें बंद रहीं और भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहीं-कहीं रेल भी रोकी. अजरुन मुंडा का आरोप है कि राज्य में बिजली की बदहाली के लिए मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री की लड़ाई जिम्मेदार है. उनकी बात सही हो सकती है, लेकिन क्या वह यह बतायेंगे कि इतने दिनों तक जब वह खुद मुख्यमंत्री रहे तो बिजली व्यवस्था क्यों नहीं सुधारी? उन्होंने बिजली के क्षेत्र में खुद क्या किया? बाबूलाल मरांडी भी बिजली के मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहते. वह बिजली संकट के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा को जिम्मेदार ठहराते हुए धरना देंगे. कुल मिला कर, जो लोग झारखंड में सत्ता में रहे, अब वो दूसरों पर जिम्मेदारी थोप कर आंदोलन की राह पर हैं.

लेकिन खुद जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं. बिजली संकट की मार भी जनता ङोल रही है और राजनीतिक पार्टियों के आंदोलनों की मार भी उसी पर पड़ रही है. भीषण गरमी में बंद के दौरान गाड़ी-घोड़े के लिए भटकने का दर्द एसी में रहनेवाले नेता क्या जानें? अभी जनता ने अच्छे दिन की उम्मीद में भाजपा को केंद्र में बड़ा बहुमत दिया है. पार्टी की राज्य इकाई को चाहिए की वह राजनीति चमकाने के बजाये इस दिशा में केंद्र सरकार से सहयोग दिलवाये.

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