सही मूल्य के लिए किसान संघर्ष करने को बाध्य
भारत में 60 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और उनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि से ही प्राप्त होता है, जिसे हम किसान कहते हैं. लाल बहादुर शास्त्री का दिया हुआ नारा ‘जय जवान-जय किसान’ आज अपनी सार्थकता खो रहा है. किसान अपने अनाज के वास्तविक मूल्य के लिए सड़क […]
भारत में 60 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और उनकी आय का मुख्य स्रोत कृषि से ही प्राप्त होता है, जिसे हम किसान कहते हैं. लाल बहादुर शास्त्री का दिया हुआ नारा ‘जय जवान-जय किसान’ आज अपनी सार्थकता खो रहा है. किसान अपने अनाज के वास्तविक मूल्य के लिए सड़क पर संघर्ष करने को विवश हैं, जबकि किसानों की वजह से ही विश्व की थाली में मेहनत का अनाज परोसा जाता है.
किसानों से खाद्य सामग्री जब बाजार में आती है तो उसमें तीसरा व्यक्ति के तौर पर बिचौलिये का स्थान आता है, जो अत्यधिक मात्रा में किसान का पैसा हजम कर जाते हैं. इससे किसान हमेशा कर्ज में डूबे रहने को विवश रहते हैं.
अभिनव कुमार, लोहिया नगर (बेगूसराय)