कब पूरी होगी रोजगार की आस?

15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड का उदय हुआ. यहां के युवाओं ने हजारों सपने देखे. उन्हें लगा कि अब तो यहां के सरकारी तंत्र में उनकी योग्यता की पूछ होगी. रोजगार के अवसरों की बौछार होगी. लेकिन ये सपने धीरे-धीरे टूटते नजर आ रहे हैं. साढ़े तेरह सालों में चार जेपीएससी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2014 5:12 AM
15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड का उदय हुआ. यहां के युवाओं ने हजारों सपने देखे. उन्हें लगा कि अब तो यहां के सरकारी तंत्र में उनकी योग्यता की पूछ होगी. रोजगार के अवसरों की बौछार होगी.
लेकिन ये सपने धीरे-धीरे टूटते नजर आ रहे हैं. साढ़े तेरह सालों में चार जेपीएससी (सिविल सेवा) परीक्षा, एक बार दारोगा नियुक्ति, टीचरों की बहाली भी टीइटी के अनुरूप हो न सकी. सही मायनों में झारखंड के दु:ख-दर्द को समझने वाला यहां का कोई नेता नहीं है.
उन्हें तो बस अपनी कुर्सी चाहिए. विकास से कोई लेना-देना नहीं. हर साल नयी सरकार बनती है और हम युवा हर बार उससे उम्मीद लगा लेते हैं कि वह हमारी योग्यता के अनुसार नियोजित करेगी. जब तक हमारी यह उम्मीद पूरी नहीं हो जाती, हम यूं ही आस लगाये बैठे रहेंगे. हमें इंतजार रहेगा.
दिव्या रानी, रांची

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