लोकतंत्र एक नैतिक अवधारणा

लोकतंत्र एक नैतिक अवधारणा है, जिसकी सफलता राजनीतिक दलों, सत्ता में शीर्ष बैठे व्यक्तियों एवं आम जनता के नैतिक, मर्यादित आचरण पर निर्भर करता है. लोकतंत्र में जटिल समस्याओं एवं विषम परिस्थितियों का आना स्वाभाविक है, लेकिन इसकी यह विशेषता भी है कि जनादेश अपने आप में बहुत सारे प्रश्नों का उत्तर दे जाता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2018 6:52 AM

लोकतंत्र एक नैतिक अवधारणा है, जिसकी सफलता राजनीतिक दलों, सत्ता में शीर्ष बैठे व्यक्तियों एवं आम जनता के नैतिक, मर्यादित आचरण पर निर्भर करता है.

लोकतंत्र में जटिल समस्याओं एवं विषम परिस्थितियों का आना स्वाभाविक है, लेकिन इसकी यह विशेषता भी है कि जनादेश अपने आप में बहुत सारे प्रश्नों का उत्तर दे जाता है. बिहार शुरू से ही सामाजिक-राजनीतिक बदलाव एवं आंदोलनों की प्रयोगशाला रहा है.

अक्सर यह कहा जाता है कि यदि बिहार का इतिहास विस्तृत रूप से लिखा जाये तो वह अपने आप में भारत का इतिहास हो जायेगा. लोकतंत्र में जनता की अपेक्षाओं की जानकारी होनी चाहिए, अन्यथा विपरीत व्यवहार करनेवाले लोग हाशिये पर चले जाते हैं. आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार का महत्व परिलक्षित होने लगा है.

राजीव आर्यन, दानापुर (पटना)

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