सही मूल्य के लिए किसानों को करना पड़ रहा संघर्ष

आज देश के विभिन्न वर्ग जैसे किसान, छात्र, बेरोजगार युवा अपनी स्थिति पर चिंतित हैं. देश में बेरोजगारी चरम पर है. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है. कुल मिला कर भारत में हर तरफ अव्यवस्थाओं का दौर जारी है. देश के किसान अपने उपजाये अनाज की मूल्य वृद्धि तथा अपने आत्म […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2018 6:53 AM
आज देश के विभिन्न वर्ग जैसे किसान, छात्र, बेरोजगार युवा अपनी स्थिति पर चिंतित हैं. देश में बेरोजगारी चरम पर है. शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है.
कुल मिला कर भारत में हर तरफ अव्यवस्थाओं का दौर जारी है. देश के किसान अपने उपजाये अनाज की मूल्य वृद्धि तथा अपने आत्म सम्मान के लिए संघर्षरत हैं. वहीं, छात्र युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. किसानों को सब्सिडी के नाम पर उलझाया जाता है तो वहीं युवाओं को जाति और धर्म में बांटा जा रहा है.
आज देश 1947 से पहले वाली स्थिति में पहुंचता जा रहा है. अंतर इतना है कि उस समय अंग्रेजों के गुलाम थे, आज पूंजीपतियों के दलाल के गुलामी झेल रहे हैं. 70 वर्षों से हम भ्रम में जी रहे हैं कि आजाद हैं, विकास कर रहे हैं. लेकिन, नहीं. अब हमें विचार करने की जरूरत है कि विकास का पैमाना क्या है?
आदित्य कुमार, जाफरपुर, शिवहर (सीतामढ़ी)

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