चुनाव के बाद हो रही हिंसा से यह बात जाहिर होती है कि अभी तक चुनाव की खुमारी हमारे मानस पटल से हटी नहीं है. जिस तरह से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसक घटनाओं की बाढ़ आ गयी है, वह काफी शर्मनाक है. लोकसभा चुनाव के बाद सभी पार्टियों को अपने राजनीतिक वजूद को कायम रखने या फिर चमकाने के लिए इस तरह के हथकंडों का उपयोग करना काफी दुखद है.
आज पश्चिम बंगाल में वामपंथी जिस राजनीतिक रंजिश का विरोध कर रहे हैं, वह तो उन्हीं की देन है. महिलाओं पर अत्याचार, राजनीतिक हमले तथा विकास के इस दौर में पिछड़ेपन के शिकार बंगाल को फिर से उसका खोया गौरव वापस दिलाने के लिए सभी राजनैतिक पाटिर्यो को पुर्नमथन करना होगा. दोषारोपण की राजनीति बंद करनी होगी. आज समूचे देश को विकास की राजनीति की जरूरत है.
अंशुमन भारती, कोलकाता