परदेश में खटने को मजबूर शिक्षक

2015 एवं 2016 में नियुक्त प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक सरकार की गलत नीति के कारण वनवास झेलने को मजबूर हैं. बहाली के समय अधिकांश शिक्षकों की नियुक्ति अन्य जिलों में हो गयी, जबकि उनकी नियुक्ति पूर्णत: गृह जिले में ही होनी चाहिए थी. कुछ शिक्षक तो अपने घर से 400-500 किमी दूर नियुक्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2018 7:30 AM

2015 एवं 2016 में नियुक्त प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक सरकार की गलत नीति के कारण वनवास झेलने को मजबूर हैं. बहाली के समय अधिकांश शिक्षकों की नियुक्ति अन्य जिलों में हो गयी, जबकि उनकी नियुक्ति पूर्णत: गृह जिले में ही होनी चाहिए थी. कुछ शिक्षक तो अपने घर से 400-500 किमी दूर नियुक्त कर दिये गये.

झारखंड के नौनिहालों को तराशने की जिम्मेदारी जिन शिक्षकों को दी गयी है, वे स्वयं महीने या दो महीने में एक-दो दिन अपने बच्चों से मिल पाते हैं. वर्तमान में शिक्षा विभाग की स्थिति ऐसी है कि स्कूल के लिए पूर्व से निर्धारित अवकाश का भी कोई मायने नहीं रह गया है.

घोषित अवकाश को सरकार द्वारा कब निरस्त कर दिया जायेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है. झारखंड के सीएम से प्रार्थना है कि इन शिक्षकों को अविलंब गृह जिले में स्थानांतरित कर दिया जाये, ताकि वे तन-मन से झारखंड के नौनिहालों को तराश कर हीरा बना सकें.

पुरुषोत्तम कुमार शुक्ल, सेन्हा , लोहरदगा

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