मेडिकल नैतिकता का पाठ

मानव जीवन के किसी भी हिस्से में बेहतरी के लिए नैतिकता जरूरी है. हमारे निजी, सामाजिक और पेशेवर जीवन के आचार-व्यवहार का आधार नैतिक मानदंड ही होते हैं. जिस पेशे में समाज के विभिन्न तबकों से साबका पड़ता है, उसमें तो यह आयाम बहुत अहम हो जाता है. चिकित्सक का पेशा ऐसा ही है. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2018 7:25 AM

मानव जीवन के किसी भी हिस्से में बेहतरी के लिए नैतिकता जरूरी है. हमारे निजी, सामाजिक और पेशेवर जीवन के आचार-व्यवहार का आधार नैतिक मानदंड ही होते हैं. जिस पेशे में समाज के विभिन्न तबकों से साबका पड़ता है, उसमें तो यह आयाम बहुत अहम हो जाता है. चिकित्सक का पेशा ऐसा ही है. इस पेशे से जुड़े व्यक्ति को अलग-अलग पृष्ठभूमि से आनेवाले रोगियों और उनके परिजनों से मिलना-जुड़ना पड़ता है.

चिकित्सक मरीज का सिर्फ उपचार ही नहीं करता है, अपने व्यवहार और बातचीत से उसे और उसके रिश्तेदारों को हौसला भी देता है. अक्सर देखा जाता है कि चिकित्सक के खराब रवैये के कारण तनाव की हालत पैदा हो जाती है, जिससे अस्पताल का माहौल बिगड़ जाता है. इस मुश्किल से निजात पाने की कोशिश में भारतीय चिकित्सा परिषद् ने एक खास कदम उठाया है.

अब एमबीबीएस की कक्षाओं में मेडिकल शिक्षा के साथ नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जायेगा. कई देशों में ऐसा पहले से ही हो रहा है. हालांकि, पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर होने की मान्यता लेते समय छात्र को मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करने तथा पेशेवर ईमानदारी बरतने का संकल्प लेना होता है, लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी है. चिकित्सक भी समाज का ही हिस्सा होता है, इसलिए उसमें भी कमियां हो सकती हैं. लेकिन, यदि पूरे पाठ्यक्रम के दौरान नैतिक मूल्यों की शिक्षा प्राप्त करने पर वह बेहतर ढंग से प्रशिक्षित हो सकता है.

इससे वह बीमार और उसके परिजनों के साथ उनके आचार-व्यवहार, पसंद, मूल्यों, मान्यताओं, भरोसा और निजता के साथ पेश आ सकता है. पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की तैयारी 2015 से ही चल रही थी और अब इसकी रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा चुका है.

हालांकि, सैद्धांतिक रूप से नैतिकता का पाठ पढ़ाये जाने का बहुत महत्व है, पर छात्र अपने शिक्षकों, वरिष्ठों और सहपाठियों से भी बहुत कुछ सीखते हैं. चूंकि मेडिकल कॉलेज के साथ अस्पताल भी होता है, इसलिए यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि उसमें उपचार के लिए आनेवाले लोगों से शिक्षक और वरिष्ठ छात्र भी अच्छा व्यवहार करें, ताकि कनिष्ठ छात्र उसे अपने आचरण में ढाल सकें.

अक्सर मीडिया में डॉक्टरों के अनुचित आचरण, उपचार में लापरवाही और मरीजों को गुमराह करने की खबरें आती रहती हैं. कई बार डॉक्टरों और रोगी के रिश्तेदारों के बीच मारपीट भी हो जाती है. यह सब न तो अस्पतालों के माहौल के लिए ठीक है और न ही उपचार की प्रक्रिया के लिए. यदि चिकित्सक धैर्य से काम लें और रोगियों को भरोसे में लेकर इलाज करें, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है.

यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि रोगी और उसके परिजन बेहद तनाव में होते हैं तथा उनकी सारी उम्मीद डॉक्टरों पर ही टिकी रहती है. उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य देशों के अनुभवों की तरह नैतिकता की शिक्षा अच्छे चिकित्सक पैदा करने में मददगार होगी.

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