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जल नहीं तो कल नहीं
पूरी दुनिया पर दृष्टि डालें, तो यह सत्य उभरता है कि वर्तमान दशक में पूरी मानवता कई प्राकृतिक विपदाओं से जूझ रही है. बढ़ती आबादी के साथ जल की समस्या सबसे बड़े संकट के रूप में उभर रही है. वर्तमान समय में प्राकृतिक संसाधनों के साथ निरंतर खिलवाड़ का यह नतीजा है. विश्व के लगभग […]
पूरी दुनिया पर दृष्टि डालें, तो यह सत्य उभरता है कि वर्तमान दशक में पूरी मानवता कई प्राकृतिक विपदाओं से जूझ रही है. बढ़ती आबादी के साथ जल की समस्या सबसे बड़े संकट के रूप में उभर रही है. वर्तमान समय में प्राकृतिक संसाधनों के साथ निरंतर खिलवाड़ का यह नतीजा है. विश्व के लगभग 70% भाग पर जल होने के बावजूद आज के समय में पीने योग्य पानी की कमी है और पानी बाजार में बेचा जा रहा है.
अब यह सोचना होगा कि हमारी अगली पीढ़ी को पीने योग्य जल कितना और कैसे मिलेगा? यह भी सोचना होगा कि हम सभी जल का उपयोग किस तरह से करते है? यह अत्यंत आवश्यक है कि समाज में जल संरक्षण, जल प्रदूषण एवं इसके प्रयोग हेतु जागरूकता फैलानी होगी. इसके अतिरिक्त जल के स्रोत नदी, तालाब तथा नलकूप का संरक्षण भी करना होगा.
गिरीश दुबे, कोलकाता
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