सरकारी विद्यालयों की बदहाली

सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं चलायी जा रही हैं. जैसे, मध्याह्न भोजन, पोशाक वितरण, साइकिल, कक्षा 8वीं तक के बच्चों को मुफ्त पुस्तक इत्यादि, लेकिन हालत यह है कि अधिकांश बच्चे विद्यालय नहीं जाते. कुछ अगर जाते भी हैं, तो मध्याह्न भोजन के लिए या साइकिल मिल जाए, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 20, 2018 7:27 AM
सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं चलायी जा रही हैं. जैसे, मध्याह्न भोजन, पोशाक वितरण, साइकिल, कक्षा 8वीं तक के बच्चों को मुफ्त पुस्तक इत्यादि, लेकिन हालत यह है कि अधिकांश बच्चे विद्यालय नहीं जाते.
कुछ अगर जाते भी हैं, तो मध्याह्न भोजन के लिए या साइकिल मिल जाए, इसलिए, पढ़ने के उद्देश्य से नहीं, क्योंकि पढ़ाई होती ही नहीं है.शिक्षक नौकरी बचाने के लिए बच्चों की उपस्थिति तो दर्ज कर देते हैं, जिससे बच्चों को पोशाक व साइकिल मिल जाती है, लेकिन जिसके लिए ये सब चीजें दी जाती हैं, वही नहीं मिल पाती है, ज्ञान नहीं मिल पाता है. इसका एक बड़ा कारण शिक्षकों की कमी भी है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
शेखर कुमार, देवघर.

Next Article

Exit mobile version