देश की आजादी की वाहक रही कांग्रेस कालांतर में कुरसी और कुनबे में इस कदर रमी कि उसे उन मतदाताओं की सेवा करना नागवार लगा, जो उसे सत्ता नवाजती थी. यहां तक कि महंगाई और भ्रष्टाचार जैसी गंभीर त्रसदियों से गुजर रही जनता की सुध लेने से भी यह पार्टी और सरकार मुंह फेरती रही. नतीजतन, 2014 के आम चुनाव में जनता ने कांग्रेस को सत्ता से इस कदर बाहर किया कि उसके सामने वजूद बचाने का सवाल खड़ा हो गया.
जब तक पार्टी के कर्ताधर्ता को इस हकीकत का एहसास होता कि लोकतंत्र में लोक से बड़ा कोई नहीं है, तब तक काफी देर हो चुकी थी, क्योंकि जनता ने अपना फैसला सुना दिया था. कांग्रेस की करारी हार से भाजपा को सबक लेनी चाहिए. अगर भाजपा की सरकार भी लोगों के हित में काम नहीं करेगी, तो जनता आनेवाले चुनाव में तीसरी पार्टी को भी समर्थन दे सकता है.
विकास शर्मा, अरगोरा