मोदी देंगे हिंदी भाषा को पहचान
समस्त चुनावी सभाओं में, जिनकी संख्या समाचार पत्रों ने लगभग 400 बतायी है, नरेंद्र मोदी हिंदी में ही बोले हैं. चाहे वे हिंदी-भाषी क्षेत्र हों या अहिंदी भाषी क्षेत्र. यह भी आश्चर्यजनक था कि गैर-हिंदीभाषी क्षेत्र में भी उनकी बात को ध्यान से सुना गया. अधिकतर देखा गया है कि जो लोग सरकारी कार्य से […]
समस्त चुनावी सभाओं में, जिनकी संख्या समाचार पत्रों ने लगभग 400 बतायी है, नरेंद्र मोदी हिंदी में ही बोले हैं. चाहे वे हिंदी-भाषी क्षेत्र हों या अहिंदी भाषी क्षेत्र. यह भी आश्चर्यजनक था कि गैर-हिंदीभाषी क्षेत्र में भी उनकी बात को ध्यान से सुना गया. अधिकतर देखा गया है कि जो लोग सरकारी कार्य से सरकारी कार्यालय में जाते हैं और हिंदी में बात करते हैं, तो उनकी बात को सुनने वाला कोई नहीं होता. इसके ठीक उलट, जो लोग अंगरेजी बोलते हैं, उनकी सुनवाई जल्द होती है.
यहां तक पाया गया है कि ‘हिंदीवालों’ को बैठने के लिए भी नहीं कहा जाता, और ‘अंगरेजी वालों’ को कुर्सी दे दी जाती है. मोदी के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी बोलने का असर पड़ेगा. वैश्विक स्तर पर भी यह बात परिलक्षित होगी कि भारत के प्रधानमंत्री को अपने देश की पहचान और संस्कृति पर न ही सिर्फ विश्वास है, बल्कि उसके प्रति प्रेम तथा अभूतपूर्व समर्पण की भावना है.
राहुल, ई-मेल से