पवित्र नहीं रही अब गंगा
गंगा की सफाई के लिए अब तक सरकार द्वारा हजारों-करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके हैं. मगर गंगा आज भी उतनी ही प्रदूषित है, जितनी पहले थी. सरकार हर वक्त गंगा की सफाई का अभियान चलाती है, लेकिन इसका नतीजा कुछ निकल कर नहीं आता. जब तक सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाये जायेंगे, गंगा […]
गंगा की सफाई के लिए अब तक सरकार द्वारा हजारों-करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके हैं. मगर गंगा आज भी उतनी ही प्रदूषित है, जितनी पहले थी. सरकार हर वक्त गंगा की सफाई का अभियान चलाती है, लेकिन इसका नतीजा कुछ निकल कर नहीं आता. जब तक सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाये जायेंगे, गंगा को स्वच्छ रखना नामुमकिन है.
भले ही कहने और पूजा के लिए हम गंगा को पवित्र मानते रहे हैं, लेकिन जब उसी पवित्र गंगा में हम सब सड़ी चीजें, राख, नालियों का पानी, चमड़ा उद्योग की गंदगी और केमिकल डालते रहते हैं, तब हमारी पवित्रता कहां चली जाती है. यह हम मनुष्यों की सिर्फ धार्मिक आस्था है, वरना गंगा तो काफी मैली हो चुकी है. हमें धार्मिक रीति-रिवाजों को दरकिनार करके एक प्रण लेना होगा कि गंगा को प्रदूषित नहीं होने देंगे. इसके अलावा, पर्यावरण विभाग के जो कानून बने हैं, उनको सख्ती से लागू करना होगा.
राणा सिंह, कोकर