शादीमय भारतवर्ष हमारा

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com जिस एकादशी पर देव जग जाते हैं, उसके बाद शादी का सीजन चल पड़ता है. शादी के सीजन में चालू विश्वविद्यालय ने शादी विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है- शादी का हमारे सामाजिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक जीवन में घणा महत्व है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2018 4:36 AM

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

puranika@gmail.com

जिस एकादशी पर देव जग जाते हैं, उसके बाद शादी का सीजन चल पड़ता है. शादी के सीजन में चालू विश्वविद्यालय ने शादी विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है- शादी का हमारे सामाजिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक जीवन में घणा महत्व है. देव जागते हैं, तो भारतीय समाज किस काम में जुटता है- शादी के. शादी के पहले भी तैयारियां ही हो रही होती हैं और शादी के बाद शादी के परिणाम पीछा न छोड़ते. आम भारतीय जीवन शादी से शुरू होकर शादी में अटका रह जाता है.

परिवार में बेटी पैदा हो, तो उसके बारे में घर में चिंता शुरू हो जाती है कि हाय इसकी शादी का कैसे इंतजाम करना है. परिवार में बेटा हो, तो चिंता हो जाती है कि इसकी बहू कैसे आयेगी.

आम तौर पर बेटी के बचपन से ही पिता दहेज का जुगाड़ करने लगता है और बेटे का पिता प्लान करता है कि दहेज भी आ जाये और हम प्रगतिशील दहेज विरोधी भी साबित हो जायें. सहज पाखंडी भारतीयता की प्राचीन परंपराओं के तहत दहेज लोभी बाप भी खुद को प्रगतिशील दहेज विरोधी कहलाना पसंद करता है.

भारत में 99 परसेंट शादियां दहेज के साथ होती हैं, यूं कि दहेज विरोधी कानून को आये हुए कई साल हो लिये हैं. आम जनता जानती है कि जीवन कानून से नहीं चलता है, कैश से चलता है, जो दहेज के साथ दिया जाता है. तो शादी के बाद भी शादी चलती है.

अभी टीवी चैनलों अखबारों में दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी चल रही है. यह शादी नहीं विराट रोजगार योजना है, ना जाने कितने टीवी चैनलों को कितने घंटे तक यही शादी दिखाने को मिल गया. दीपिका और रणवीर की शादी सिंधी और कोकणी रिवाज से हुई, अगर टीवी चैनलों की चलती तो भारत में प्रचलित हर पद्धति से यह शादी करवायी जाती, जितनी पद्धतियां, उतनी ही खबरें.

अगर यह शादी न होती, तो सचमुच कोई खबर दिखानी पड़ जाती. वैसे उसकी भी नौबत कम ही आती है. भानगढ़ के किले के भूत और तमाम नाग-नागिन भी टीवी चैनलों को उबार लेते हैं. इससे साफ होता है कि भारत में शादी सिर्फ इंसानों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, टीवी चैनलों के लिए भी शादियों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

करीना कपूर और सैफ अली खान की शादी पर राष्ट्रीय महत्व की खबरें बनी थीं, अब उनकी संतान तैमूर की चड्डी के रंगों पर एक्सक्लूसिव खबरें आ रही हैं. कुछ समय बाद तैमूर की शादी की खबरें भी राष्ट्रीय महत्व की बनेंगी.

इससे पता चलता है कि शादी के बाद शादी के परिणामों में भी भारतीय जनमानस पैनी नजर बनाये रखता है. वहां नजर इतनी बनी रहती है कि आम आदमी यह देखना भी भूल जाता है कि उसके नल में पीने का पानी जो गंदा आ रहा है, उसका जिम्मेदार कौन है.

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