यूनवोन्मेष पर ध्यान

तकनीक के बगैर आधुनिक मानव जीवन के वर्तमान की कल्पना संभव नहीं है. लेकिन आज भी बड़ी आबादी इसके लाभ से या तो वंचित है या उसकी पहुंच सीमित है. इस संदर्भ में दूसरी चुनौती है तकनीक के निरंतर विकास की. संतोष की बात है कि तकनीकी नवोन्मेष को बढ़ावा देने के प्रयास सरकार और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2018 6:07 AM

तकनीक के बगैर आधुनिक मानव जीवन के वर्तमान की कल्पना संभव नहीं है. लेकिन आज भी बड़ी आबादी इसके लाभ से या तो वंचित है या उसकी पहुंच सीमित है. इस संदर्भ में दूसरी चुनौती है तकनीक के निरंतर विकास की. संतोष की बात है कि तकनीकी नवोन्मेष को बढ़ावा देने के प्रयास सरकार और उद्यमियों की प्राथमिकता में हैं. ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी महत्वाकांक्षी पहलों से नवाचार की दिशा में प्रगति हुई है तथा इसके परिणाम भी दिखने लगे हैं.

जैसा कि नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने रेखांकित किया है कि तकनीक और नवाचार प्रोत्साहित करने के प्रयास के केंद्र में कोई एक क्षेत्र नहीं है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्तर पर इसे विभिन्न स्तरों पर लागू किया जा रहा है. वर्ष 2014 से स्टार्टअप उद्यमों में 40 अरब डॉलर से अधिक राशि निवेशित हुई है. इससे देशी-विदेशी निवेशकों का भरोसा भी मजबूत हुआ है.

केंद्र सरकार ने छोटे और मझोले कारोबार से संबंधित नियमों में छूट दी है तथा उनके लिए कर्ज और मंजूरी लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया है. रुपे और यूपीआई जैसे भुगतान तंत्र ने आम नागरिक के लिए वित्तीय पहुंच को आसान बनाया है. डिजिटल बैंकिंग का प्रसार भी इसी कड़ी में है.

इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, संचार, कृषि जैसे अहम क्षेत्रों में भी तकनीक के जरिये उत्पादकता, वितरण और उपभोग को व्यापकता मिल रही है. अगर हम डेटा विश्लेषण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को देखें, तो वैश्विक स्तर पर इनमें शोध, नवोन्मेष तथा उपयोग के लिहाज से तेज विकास हो रहा है. भारत में भी इन क्षेत्रों में नये अनुसंधानों के प्रति समर्पित उद्यम विकसित हो रहे हैं.

इस दिशा में विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के संस्थानों को ध्यान देने की जरूरत है. कुछ समय से शिक्षा में निजी क्षेत्र का दायरा बहुत बढ़ा है. ऐसे में सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहभागिता और सहयोग बढ़ाया जाना चाहिए. जनसंख्या में युवाओं की बड़ी संख्या जहां रोजगार की आकांक्षी है, वहीं नवोन्मेष और समावेशी पहलों में इससे बड़ी मदद मिल सकती है.

चूंकि यह एक व्यापक उपभोक्ता वर्ग भी है, सो तकनीक के बाजार के लिए भी यह सकारात्मक है. हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, पर समावेशी विकास के बिना यह बेमतलब हो सकती है. नीतियों और निवेश का लाभ आर्थिक, क्षेत्रीय और सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचितों तक पहुंचाने में अत्याधुनिक तकनीकें ही कारगर माध्यम हैं. हम तकनीक के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं.

अगर हम सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशिष्ट वैश्विक उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं, तो कोई कारण नहीं है कि नवोन्मेष में हम कमतर साबित हों. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी नीतियों को ठीक से लागू किया जाये और इसमें उद्योग जगत समेत विभिन्न संस्थाओं को भी बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाना चाहिए.

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