तपस्या से कम नहीं झारखंड में जीना

सांसारिक सुखों व मोह-माया का त्याग करके पहले ऋ षि-मुनि हिमालय की कंदराओं में तपस्या करते थे. अब ऐसी स्थिति झारखंड की बन गयी है. फर्क केवल इतना है कि वहां ऋ षिगण ठंड से ठिठुरते थे तो यहां आमजन गर्मी में झुलस रहे हैं. जीवन जीने की बुनियादी सुविधाओं से वंचित झारखंड की जनता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2014 6:59 AM

सांसारिक सुखों व मोह-माया का त्याग करके पहले ऋ षि-मुनि हिमालय की कंदराओं में तपस्या करते थे. अब ऐसी स्थिति झारखंड की बन गयी है. फर्क केवल इतना है कि वहां ऋ षिगण ठंड से ठिठुरते थे तो यहां आमजन गर्मी में झुलस रहे हैं. जीवन जीने की बुनियादी सुविधाओं से वंचित झारखंड की जनता यह सोचने पर विवश हो गयी है कि क्या उसे अनायास तपस्या का जीवन जीने के लिए मजबूर कर दिया गया है!

झारखंड के अधिकांश इलाकों में बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गयी हैं. बिजली-पानी की जबरदस्त कमी से लोग बेहाल हैं. यह हाल राज्य के सभी ग्रामीण इलाकों का है. सरकार और प्रशासन केवल अखबारों में ही नजर आते हैं. सामने आने पर इनका भ्रष्टाचार और काहिली से लिथड़ा चेहरा रोंगटे खड़े कर देता है. इन दुश्वारियों के बीच यहां रहना क्या तपस्या से कम है?

डी कृष्णमोहन, राजधनवार, गिरिडीह

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