तस्कर का नया कैरियर

सुरेश कांत वरिष्ठ व्यंग्यकार drsureshkant@gmail.com हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य- जंगलों से इंटरनेट पर संदेश कौंधा है. तस्कर-सम्राट कैरियर बदलने की सोच रहा है. नेट पर प्रदर्शित उसका बायोडाटा उच्च कॉर्पोरेट प्रबंधकों को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है. एक सुरक्षा एजेंसी पहले ही तस्कर को एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2018 4:19 AM

सुरेश कांत

वरिष्ठ व्यंग्यकार

drsureshkant@gmail.com

हर संत का एक अतीत होता है और हर पापी का एक भविष्य- जंगलों से इंटरनेट पर संदेश कौंधा है. तस्कर-सम्राट कैरियर बदलने की सोच रहा है. नेट पर प्रदर्शित उसका बायोडाटा उच्च कॉर्पोरेट प्रबंधकों को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है.

एक सुरक्षा एजेंसी पहले ही तस्कर को एक विदेशी बैंक के सुरक्षा गार्ड की नौकरी का प्रस्ताव दे चुकी है. कल्पना कीजिये कि अपना तस्कर-सम्राट कंधे पर बेतरतीबी से डबल-बैरल बंदूक लटकाये बीड़ी पीता बैंक के बाहर खड़ा है. नहीं, तस्कर ने इस प्रस्ताव का मजाक उड़ाते हुए उसे ठुकराने में जरा भी देर नहीं की. जो खुद अपने पे-रोल पर बॉडी-गार्ड्स रखने के लिए विख्यात हो, उससे गार्ड बनने के लिए कहना अपमानजनक है.

एक हेड-हंटर यानी नौकरी दिलानेवाले एजेंट का सुझाव है कि तस्कर को जुआ-नगरी काठमांडू के किसी कैसिनो में ‘बाउंसर’ के रूप में बखूबी पुनर्वासित किया जा सकता है. पर तस्कर को यह आइडिया भाया नहीं, क्योंकि जो शख्स टास्क-फोर्स के कर्मचारियों को जंगल से बाहर फेंक देने के लिए प्रसिद्ध हो, वह जुआरियों से भिड़कर अपनी प्रतिष्ठा क्यों गिरायेगा?

एक अन्य एजेंट ने एक बड़े कॉर्पोरेट घराने को तस्कर को ‘रणनीतिक आयोजना के लिए परामर्शदाता’ के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव भेजा है. तस्करराज द्वारा विभिन्न पुलिस-बलों के विरुद्ध लड़ी और जीती गयी लड़ाइयों के सामने कॉर्पोरेट घरानों के बीच लड़ी जानेवाली लड़ाइयां कहां ठहरती हैं? तस्कर का कहना है कि उसे यह प्रस्ताव स्वीकारने में एेतराज नहीं, पर संकोच के साथ कहता है कि वह अंग्रेजी नहीं समझता, इसलिए युवा एमबीए लोगों की सोहबत में वह परेशान हो जायेगा.

सबसे आकर्षक प्रस्ताव किसी उत्तरी राज्य के किसी दूरवर्ती क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार के चुनाव-एजेंट का है. विरोधी उम्मीदवारों का अपहरण, बैलट-बॉक्स या ईवीएम मशीनें ले जानेवाले वाहनों की लूट, वोटरों को आतंकित कर अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट डलवाने के लिए बाध्य करना आदि ऐसे काम हैं, मानो तस्कर बना ही उन्हीं के लिए हो.

यह विकल्प तस्कर को पसंद तो है, पर वह सोचता है कि एजेंट क्यों, उम्मीदवार ही क्यों नहीं? आखिर उसमें एक निर्वाचित प्रतिनिधि के लिए आवश्यक समस्त योग्यताएं हैं. वह अपने विरोधियों की निष्ठा जीतना जानता है, दोमुंही जबान रखता है, पैंतरे बदलने में माहिर है और ‘फेंस-सिटर’ लोगों को पहचानने और अपनी ओर आकर्षित करने का अलौकिक कौशल भी उसके पास है.

ये खूबियां उसे एमएलए या एमपी का आदर्श उम्मीदवार बनाती हैं. वह बड़ी कुशलता से अपने निर्वाचन-क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें बढ़ा सकता है और जीतने के बाद उतनी ही कुशलता से उन पर तुषारापात भी कर सकता है.

निस्संदेह तस्कर को पुलिस-इंस्पेक्टर बनाने या उसे अपने जीवन पर एक टीवी-सीरियल शुरू करने के लिए तैयार करने जैसे आइडिये भी हैं, पर तस्कर-शिरोमणि ने उन सबको रद्द कर दिया है. हां, अगर आपमें से किसी के पास कोई अन्य आकर्षक प्रस्ताव हो, तो फौरन प्रेषित करने का कष्ट करें.

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