भाजपा की लफ्फाजी उसे ले डूबी
तीन राज्यों में हुए चुनाव में भाजपा के अति आत्मविश्वास और दंभ को जनता ने धूल चटा कर दिन में तारे दिखा दिये. एक कहावत है, ‘भूखे भजन न होंहिं गोपाला’. इस देश की गरीब जनता को न धर्म की जरूरत है, न मंदिर-मस्जिद की, न कथित उच्च विकास दर की, न ही बढ़ रहे […]
तीन राज्यों में हुए चुनाव में भाजपा के अति आत्मविश्वास और दंभ को जनता ने धूल चटा कर दिन में तारे दिखा दिये. एक कहावत है, ‘भूखे भजन न होंहिं गोपाला’.
इस देश की गरीब जनता को न धर्म की जरूरत है, न मंदिर-मस्जिद की, न कथित उच्च विकास दर की, न ही बढ़ रहे खरबपतियों की संख्या की, न चांद और मंगल पर अपने अंतरिक्ष यान भेजने की, न परमाणु बम बनाने की, न अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल बना लेने की, न बुलेट ट्रेन की और न ही स्मार्ट सिटी बनाने की.
उसे सिर्फ चाहिए ‘दो वक्त की रोटी मिल जाने की निश्चिंतता’. 2014 में जनता का बंपर वोट हासिल कर जीतने वाले मोदीजी और उनकी राजनैतिक पार्टी ने चुनाव जीतने के बाद विगत साढ़े चार सालों में जनता से किये वायदे पर एक बार भी दृष्टिपात करने का कष्ट नहीं उठाया. निरर्थक और बेकार के विषयों पर जनता को गुमराह करने में अपना साढ़े चार साल यूं ही गंवा दिया.
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद