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इराक में फंसे लोगों को जल्द निकालें

इराक में बिहार व झारखंड के सैकड़ों लोग फंसे हैं. यहां इनके परिजन हैरान-परेशान हैं. इराक से उनकी स्वदेश वापसी की सूरत कैसे बने, इसके लिए वे तरह-तरह के यत्न कर रहे हैं. गोपालगंज के रहनेवाले युवकों ने इराक से ही जिले के डीएम के यहां फैक्स भेज कर मदद मांगी है. दरअसल इनके परिजनों […]

इराक में बिहार व झारखंड के सैकड़ों लोग फंसे हैं. यहां इनके परिजन हैरान-परेशान हैं. इराक से उनकी स्वदेश वापसी की सूरत कैसे बने, इसके लिए वे तरह-तरह के यत्न कर रहे हैं. गोपालगंज के रहनेवाले युवकों ने इराक से ही जिले के डीएम के यहां फैक्स भेज कर मदद मांगी है. दरअसल इनके परिजनों को यह पता ही नहीं है कि उनकी मदद कौन और कैसे कर सकता है.

15 दिन पहले से ही इराक के बारे में बुरी खबरें आने लगीं थीं. उनके परिजनों ने यहां से उनका हाल-चाल जानने की कोशिश की, तो पता चला कि स्थिति रोज बिगड़ रही है और अब वहां से यहां आने की सूरत भी नहीं है. हो सकता है कि इस पर मुद्दे पर विदेश मंत्रालय कुछ कर रहा हो, लेकिन अब तक इनके परिजनों को सरकार की ओर से कोई भरोसा व्यक्तिगत तौर पर नहीं मिला है. जमशेदपुर, रांची, औरंगाबाद, गोपालगंज व सीवान के युवकों के इराक में फंसे होने की जानकारी भी सरकारी तौर पर नहीं दी गयी है. यह तो वह जानकारी है, जिसमें लोग व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क करके युवकों की देश वापसी का रास्ता खोज रहे हैं.

गोपालगंज के डीएम को इराक में फंसे जिन दस युवकों के नाम से फैक्स आया है, उस फैक्स में इराक की हालत बताते हुए यह भी जानकारी खास तौर पर दी गयी है कि उन्हें भारतीय दूतावास की ओर से कोई मदद नहीं मिली रही है. यह चिंताजनक बात है. विदेश में नौकरी करनेवाले ये लोग केवल अपने घर का नहीं, बल्कि देश का भी खजाना भरते हैं. विदेशी मुद्रा भंडार को समृद्ध करने में इनका भी बड़ा योगदान है. अब विपत्ति के समय में सरकार को उच्चस्तरीय प्रयास करके युवकों की सुरक्षित स्वदेश का रास्ता तैयार करना चाहिए. तुरंत इस तरह का सेल भी बनाया जाना चाहिए, जहां से इराक में फंसे लोगों के बारे में पूरी जानकारी मिल सके.

झारखंड व बिहार दोनों राज्यों को अपनी ओर से इराक में काम करने गये लोगों की सूची केंद्रीय विदेश मंत्रालय को भी उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि वहां कितने लोग हैं, किस स्थिति में हैं और उनकी स्वदेश वापसी में क्या परेशानियां हैं, इसकी जानकारी आसानी से मुहैया हो सके. अभी तो आधी-अधूरी खबरों से लोगों की जान यूं ही निकल रही है. इससे बचने के लिए राज्य सरकारों को अपनी ओर से पहल करनी चाहिए.

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