आरक्षण और रोजगार !

दुर्भाग्य से पिछले लगभग दो दशकों से सरकार ने लाखों रोजगार खत्म कर दिये और अब उसके बाद भी लाखों पद केंद्र और राज्यों में खाली पड़े हैं. सिर्फ ठेके पर ही कुछ को काम मिल पा रहा हैं जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. इससे निरंतर हालत बिगड़ रहे हैं. दूसरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2018 6:43 AM

दुर्भाग्य से पिछले लगभग दो दशकों से सरकार ने लाखों रोजगार खत्म कर दिये और अब उसके बाद भी लाखों पद केंद्र और राज्यों में खाली पड़े हैं. सिर्फ ठेके पर ही कुछ को काम मिल पा रहा हैं जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.

इससे निरंतर हालत बिगड़ रहे हैं. दूसरी ओर आरक्षण फिर से सिर उठाने लगा है. पांच राज्यों के चुनाव पूर्व ही दलितों और सवर्णों ने अपने आरक्षण के लिए आवाज उठाई थी, जिससे भाजपा को कुछ हानि हुई है. आगामी लोकसभा चुनाव में भी यह और तेजी से उठ सकता है.

यह सिर्फ आर्थिक आधार पर ही सही है. असल में तो रोजगार की कोई कमी नहीं है, कमी तो सिर्फ नीति और नीयत की ही है. जो भी सरकार इसे हल करेगी वही सत्ता में रह पायेगी. बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से तो रोजगार भी बढ़ने चाहिए. मगर दुर्भाग्य से यहां तो सब उल्टा ही हो रहा है.
वेद मामूरपुर ,नरेला

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