टीकाकरण की सफलता
वर्ष 2014 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत शुरू हुआ टीकाकरण अभियान- मिशन इंद्रधनुष- दुनिया के 12 सबसे बड़े स्वास्थ्य अभियानों में शामिल हो गया है. सरकारी आंकड़ा है कि टीकाकरण का दायरा 83 फीसदी तक जा पहुंचा है. यह आंकड़ा 2014 में 67 फीसदी था. अब इसकी पहुंच से सिर्फ दो फीसदी […]
वर्ष 2014 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत शुरू हुआ टीकाकरण अभियान- मिशन इंद्रधनुष- दुनिया के 12 सबसे बड़े स्वास्थ्य अभियानों में शामिल हो गया है. सरकारी आंकड़ा है कि टीकाकरण का दायरा 83 फीसदी तक जा पहुंचा है. यह आंकड़ा 2014 में 67 फीसदी था.
अब इसकी पहुंच से सिर्फ दो फीसदी बच्चे ही बाहर हैं. यह प्रगति उत्साहवर्द्धक है. इस सफलता को सिर्फ टीकाकरण और कुछ रोगों की रोकथाम तक ही सीमित कर देखना सही नहीं है, बल्कि यह देश के समूचे स्वस्थ भविष्य में महत्वपूर्ण आयाम है. हमारे देश में सालाना 2.70 करोड़ शिशु जन्म लेते हैं. हर एक हजार बच्चों में से करीब 39 की मौत पांच साल की उम्र से पहले हो जाती है. अध्ययनों ने बताया है कि जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं होता है या आंशिक रूप से होता है, उनकी मौत की आशंका टीकाकृत बच्चे से तीन से छह गुना अधिक होती है.
यदि टीकाकरण पर समुचित ध्यान दिया जाता है, तो न सिर्फ शिशु मृत्यु दर कम हो सकती है, बल्कि वे बच्चे बाद की अनेक बीमारियों और अपंगता से बचाये जा सकते हैं. मौजूदा अभियान के केंद्र में वे 12 बीमारियां हैं, जिन्हें टीका देकर रोका जा सकता है. हमारे टीकाकरण अभियान की एक बड़ी चुनौती उपलब्ध टीकों की संख्या बढ़ाना है. दूसरी चुनौती लोगों में जागरूकता का अभाव है. कहीं अंधविश्वास है, तो कहीं सरकारी तंत्र जानकारी नहीं पहुंचा पाता है.
ऐसे मामले भी हैं, जहां माता-पिता ने कुछ टीके लगवाये और कुछ को छोड़ दिया. खराब गुणवत्ता या असरहीन टीकों की शिकायतें भी मिलती हैं. बीते कुछ समय से इंद्रधनुष मिशन को सघनता से चलाया जा रहा है, जिससे अनेक समस्याओं पर काबू पाया जा सका है. इस कोशिश में स्वास्थ्य केंद्रों के साथ आंगनबाड़ी, आशा और दाई समूहों की भी बड़ी भूमिका रही है.
मिशन की उत्तरोत्तर बढ़त के लिए यह भी जरूरी है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत वहां अधिक निवेश किया जाये, जहां मिशन इंद्रधनुष के अधिक लाभुक हैं. यदि आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रधानमंत्री बीमा योजना, मिशन इंद्रधनुष और अन्य कार्यक्रमों को समुचित तरीके से अमली जामा पहनाया गया, तो 2030 तक के स्वास्थ्य लक्ष्यों को पूरा किया जा सकेगा.
चूंकि स्वास्थ्य का उत्तरदायित्व राज्यों का भी है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल भी अपेक्षित है. टीकाकरण के फायदों के बारे में शहरी और कस्बाई इलाकों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा जानकारी पहुंचाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए तथा इसमें पारंपरिक मीडिया का इस्तेमाल भी होना चाहिए.
भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़वार के लिए लंबे समय तक स्वस्थ कार्यशक्ति की जरूरत बनी रहेगी. ऐसे में बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना वास्तव में भविष्य के लिए निश्चिंतता का बीमा कराना है. आशा है कि मिशन इंद्रधनुष की मौजूदा उपलब्धियां आगे उत्प्रेरक की भूमिका निभाती रहेंगी.